पुरानी कहावत है कि निरोगी काया ही सबसे बड़ा मनुष्य का धन है और ये बात सत्य भी है। यदि व्यक्ति का शरीर स्वस्थ नहीं है तो वो उसकी जीवनशैली उससे बहुत प्रभावित होती है। मनुष्य के जीवन मे कोई भी विकार या बीमारी उसके जीवन मे असंतुलन पैदा कर देती है और उसका नतीजा उसके काम पर भी पड़ता है। आज दुनियाभर में अनेक बीमारियों जैसे मधुमेह, कैंसर, गुर्दे की पथरी, साँस की बीमारियों ने मानव शरीर को जकड़ लिया हैं। केवल भारत मे ही लगभग 7.5 मिलियन लोगो को कैंसर, मधुमेह, ह्रदयघात और फेंफड़ो के रोग के कारण अपना जीवन खोना पड़ रहा हैं।
चंद्रशेखर गुरूजी ने सरल वास्तु के सिद्धांतों के द्वारा एक स्वस्थ समाज और स्वस्थ कार्यबल बनाने पर बल दिया हैं।