शयनकक्ष के लिए वास्तु

आपके जीवन में रिश्तों से जुड़ी बहुत सी समस्याओं का कारण आपका शयनकक्ष, उसमें रखी वस्तुएँ या फर्नीचर की स्थिति हो सकती है। क्या आपके वैवाहिक जीवन मे सामंजस्यता का अभाव है? जीवनसाथी के साथ मतभेद है? या घर में क्लेश बना हुआ है?

इन सब समस्याओं के मूल में हो सकता है आपका शयनकक्ष या फिर उसका वास्तु । इसके लिए खुद को या किसी और को दोष न दें। सरल वास्तु इन समस्याओं को हल करने में आपकी मदद करता है। हमारे विशेषज्ञ आपके घर की योजना व इंटीरियर सेटअप को देख कर उन मूल कारणों का पता लगाते है जो आपके शयनकक्ष में नकारात्मक ऊर्जा का कारण हो सकते हैं।

“शयनकक्ष (बेडरूम) के लिए वास्तु” अथवा “शयनकक्ष (बेडरूम) के लिए वास्तु शास्त्र” के अंतर्गत बिस्तर की दिशा, बैडरूम में रखी जाने वाली विभिन्न वस्तुएं, शौचालय के दरवाजे की दिशा आदि शामिल हैं। शयनकक्ष में नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए कॉलम, बीम, कोनों और फर्नीचर में तेज़ किनारे नहीं होने चाहिए।

बेडरूम के लिए 14 अत्यधिक प्रभावी वास्तु टिप्स

  • शयनकक्ष व्यवस्थित व साफ सुथरा हो
  • शयनकक्ष में आक्रामक जानवरों या प्राणियों की तस्वीरें व देवी-देवताओं की क्रोधित मुद्रा में तस्वीर या मूर्ति मौजूद नहीं होनी चाहिए।
  • शयनकक्ष में दर्पण या कांच नहीं होना चाहिए
  • बेडरूम के सामने वाले दरवाज़े (फ्रंट डोर) पर भी दर्पण नहीं होना चाहिए
  • बेडरूम में प्रवेश करते समय कोई अवरोध या बाधा न हो
  • रोशनी के ठीक नीचे बेड/पलंग नहीं होना चाहिए
  • बेडरूम असमान आकार में नहीं होना चाहिए {जैसे सर्कल (गोल), अर्धवृत्त, अष्टकोणीय, पेंटागोनल आदि}
  • बेडरूम का आकार चौकोर या आयत में होना चाहिए
  • बेडरूम की दीवारों पर हल्के और सुखदायक रंगों का प्रयोग करें
  • अलमारी दरवाजे के प्रवेश में बाधा नहीं करे
  • बेडरूम के अंदर एक्वेरियम या पौधे न रखें
  • शयनकक्ष में रोशनी हल्की व सुखदायक हो
  • आपके बेडरूम के कोने में खिड़कियां या प्रवेश द्वार नहीं होना चाहिए, यह आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकाल कर सकारत्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
  • चूंकि आजकल ज़्यादातर घरों में शयनकक्ष में साथ ही शौचालय (अटैच्ड बाथरूम) होता है। ऐसे में वास्तु के अनुसार घर के मुख्य शयनकक्ष (मास्टर बैडरूम) के शौचालय का दरवाज़ा हमेशा बंद होना चाहिए।

आपके शयनकक्ष के लिए कुछ आसान और सरल वास्तु टिप्स:

  • आपका शयनकक्ष शांति और सौहार्द का अनुभव करने के लिए बनाया जाना चाहिए।
  • शयनकक्ष में आक्रामक मुद्रा में दर्शायी गयी कोई भी तस्वीर या देवी-देवताओं की तस्वीर / मूर्ति नहीं होनी चाहिए।
  • शयनकक्ष में पूजा घर (पूजा स्थल) नहीं रखना चाहिये।
  • आपका बिस्तर चोकोर या आयताकार आकार का होना चाहिए क्योंकि यह शांति को बढ़ाता है।
  • वास्तु के अनुसार आपको आपकी अनुकूल दिशा में सिर रख के सोना चाहिए।
  • अपने बेडरूम की दीवारों पर हल्के और सुखदायक रंग का उपयोग करें।
  • बिस्तर के सामने दर्पण या शीशा ना रखें। इसे अशुभ माना जाता है।
  • बेडरूम/शयनकक्ष के अंदर एक्वेरियम या पौधे ना रखें।
  • शयनकक्ष में हल्की व सुखदायक रोशनी रखें।
  • आपके शयनकक्ष के कोने में खिड़कियां या प्रवेश द्वार नहीं होना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी व नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म होगी।

वास्तु के अनुसार बिस्तर की स्थिति

सामान्य तौर पर लोग सोचते हैं कि वास्तु के अनुसार बिस्तर की स्थिति पूर्व या दक्षिण की ओर होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है।

गुरुजी के सरल वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, बिस्तर की स्थिति व्यक्ति की जन्म तिथि के आधार पर होती है।

सही दिशा कॉस्मिक ऊर्जा के साथ 7 चक्रों को बढ़ाने में मदद करती है। अतः आपकी जन्म तिथि ही आपके बिस्तर की सही दिशा के बारे में बता सकती है।

सरल वास्तु के अनुसार सोने की दिशा

आपके लिए बिस्तर कि सही दिशा क्या है और उसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसका निर्धारण उस व्यक्ति के जन्मतिथि के आधार पर किया जाता है।

वास्तु का आपके शयनकक्ष पर क्या प्रभाव पड़ता है?

आपके घर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है आपका शयनकक्ष। यही वो जगह है जहाँ हम आराम और सुख का अनुभव करते है और यदि आप अपने शयनकक्ष को और अधिक शांतिपूर्ण व आरामदायक बनाना चाहते है तो वास्तु के अनुसार सही दिशा और उपाय ही उसके कारण होने वाली परेशानियों और तनाव को दूर करने में सहायता कर सकते है।

वास्तु, कमरे के रूपरेखा और बनावट के समय से ही, कई बातों को ध्यान में रखता है। शयनकक्ष को बनाते वक़्त उसमें रहने वाली सकारात्मक ऊर्जा पर मुख्य ध्यान दिया जाता है क्योंकि वास्तु के अनुसार शयनकक्ष ही आपके घर का वो कौना है जहां आप आराम करते हैं व हर रोज़ ऊर्जावान महसूस करते हैं। वास्तु शास्त्र में ऐसे कई नियम हैं जो आपके शयनकक्ष (बैडरूम) में सकारत्मक ऊर्जा पैदा कर के आपको स्वस्थ, स्फूर्तिवान व सक्रिय बनाये रख सकते हैं।

सामान्यतया माना जाता है कि शयनकक्ष की सही दिशा दक्षिण पश्चिम होती है जबकि ये हमेशा सही नहीं है।

गुरुजी के सरल वास्तु सिद्धांत के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के शयनकक्ष की दिशा और स्थिति उसके जन्म-तिथि पर निर्भर करती है। उदाहरण के तौर पर राजेश की जन्मतिथि के आधार पर शयनकक्ष की अनूरूप दिशा पूर्व होगी जबकि श्याम के बिस्तर की सही दिशा दक्षिण पश्चिम होगी।

बेडरूम के लिए वास्तु से संबंधित सामान्य मिथक

शयनकक्ष से संबंधित वास्तु के सामान्य मिथक निम्लिखित है:

19 साल के अपने अनुभव के द्वारा गुरुजी ने अपने लाखों अनुयायियों के जीवन पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डाला है।

गुरुजी के वास्तु ज्ञान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति पर वास्तु का प्रभाव उसकी जन्म-तिथि के अनुसार अलग-अलग पड़ता है। ये कोई एक जैसे नियमों का सेट नही है, जो सामान्य रूप से सभी पर लागू होता हो।

“गुरुजी” के अनुसार वास्तु से संबंधित सामान्य मिथक:

  • मास्टर बैडरूम ( शयनकक्ष) का उपयोग केवल विवाहित जोड़ों द्वारा किया जा सकता है
  • अटैच्ड स्नानघर (बाथरूम) पश्चिम या उत्तर दिशा में होना चाहिए
  • बिस्तर के बिल्कुल सामने स्नानघर नहीं होना चाहिए
  • दक्षिण दीवार पर प्रवेश द्वार नहीं होना चाहिए
  • बेडरूम का दरवाजा सिंगल शटर का होना चाहिए
  • शयनकक्ष की खिड़कियां पूर्व और उत्तर की दीवारों पर ही होनी चाहिए
  • दक्षिण पश्चिम में अलमारी या वार्डरोब शयनकक्ष की सबसे उपयुक्त जगह है
  • ड्रेसिंग टेबल को उत्तर या पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए
  • शयनकक्ष दक्षिण पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए
  • टीवी या इलेक्ट्रिकल उपकरणों को शयनकक्ष में नहीं रखना चाहिए