पढ़ाई के लिए केंद्रित ध्यान ,एकाग्रता और दृढ़ मानस की आवश्यकता होती है। इसलिए घर के अंदर अध्ययन कक्ष ऐसी जगह पर हो जहां मन पढ़ाई में लगने के साथ ध्यान एक जगह बना रहे। इसके लिए उस कमरे का माहौल शान्त, सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर और सुकून भरा होना चाहिये।
अध्ययन कक्ष या स्टडी रूम के लिए वास्तु में चीज़ो/सामानों का सही स्थान पर होना बहुत ज़रूरी माना गया है जैसे कि स्टडी टेबल, टेबल लैंप, फोटो फ्रेम, बिस्तर आदि। इस प्रकार अच्छे परिणामों के लिए अध्ययन कक्ष या स्टडी रूम में रखी जाने वाली सभी वस्तुओं का सही दिशा में होना ज़रूरी है।
सरल वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, अपनी अनूकूल दिशा में बैठ कर पढ़ने से विद्यार्थी ऊर्जावान व उत्साहित महसूस करते हैं। सही दिशा उनके अजना चक्र को सक्षम कर के एकाग्रता स्तरों को बढ़ाती है।
सरल वास्तु के 19 वर्षों के गहन अध्ययन से “गुरुजी” ने अपने लाखों अनुयायियों के जीवन पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डाला है। उन्हीं के प्रयासों से संभव हो पाया है कि लोग अपने जीवन मे सकरात्मक ऊर्जा का संचार कर पाएं हैं। गुरूजी का मानना है कि हर व्यक्ति पर वास्तु शास्त्र का अलग प्रभाव होता है। ये प्रत्येक व्यक्ति की जन्म-तिथि के आधार पर निर्धारित किया जाता है। यह कोई सामान्य दिशानिर्देशों का सेट नहीं है जो सभी पर एक जैसा प्रभाव डाले। हर किसी के लिए वास्तु के उपाय अलग होते हैं।
उदाहरण के लिए एक घर में रहने वाले एक परिवार के बच्चों का पढ़ाई में एकाग्रता व कैरियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन रहता है तो वहीं दूसरी और उसी घर में रहने वाले दूसरे परिवार के बच्चों के कैरियर, पढ़ाई, स्मृति व एकाग्रता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उन्हें अनेक समस्याओं से जूझना पड़ता है। जबकि उस घर का वास्तु समान है। यह बताता है कि वास्तु सभी के लिए समान नहीं होता।