अध्ययन कक्ष के लिए वास्तु

घर एक ऐसी जगह है जहाँ हम अपना ज्यादातर समय बिताते हैं। घर में स्टडी रूम यानी अध्ययन कक्ष हमारी पढ़ाई का उपयुक्त स्थान होता है। ऐसे में वहां पर पढ़ने वाले बच्चे या किसी भी व्यक्ति को अधिक एकाग्रता व ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत होती हैं। ऐसे में अगर आपके घर मे कोई बच्चा या विद्यार्थी है और उसका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा या वो पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहा हैं तो इसका मुख्य कारण हो सकता है अध्ययन कक्ष या स्टडी रूम में नकारात्मक ऊर्जा का होना।

वास्तु शास्त्र के अनुसार “स्टडी रूम के लिए वास्तु” व “स्टडी टेबल के लिए वास्तु”, दोनों में बताया गया है कि पढ़ाई में अव्वल आना व अच्छा प्रदर्शन केवल आप पर नहीं बल्कि आपके आस पास मौजूद ऊर्जा पर निर्भर करता है। यदि किन्हीं कारणों से यह ऊर्जा नकारात्मक है तो ये आपके ध्यान व एकाग्रता दोनों को प्रभावित करती है।

अध्ययन के लिए सही दिशा

सामान्यतया अध्ययन कक्ष की सबसे अच्छी दिशा उत्तर दिशा को माना गया है। परन्तु “गुरुजी” के अनुसार वास्तु के अनुसार कौनसी दिशा आपके लिए सही है यह आपकी जन्म-तिथि पर निर्भर करती है।

वास्तु आपके स्टडी रूम या अध्ययन कक्ष को कैसे प्रभावित करता है?

पढ़ाई के लिए केंद्रित ध्यान ,एकाग्रता और दृढ़ मानस की आवश्यकता होती है। इसलिए घर के अंदर अध्ययन कक्ष ऐसी जगह पर हो जहां मन पढ़ाई में लगने के साथ ध्यान एक जगह बना रहे। इसके लिए उस कमरे का माहौल शान्त, सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर और सुकून भरा होना चाहिये।

अध्ययन कक्ष के वास्तु अनुरूप न होने पर आप / आपका बच्चा निम्नलिखित समस्याओं का सामना कर सकता है:

  • फोकस और एकाग्रता में कमी
  • सीखने / अवधारणाओं/कांसेप्ट समझने में कठिनाई
  • पढ़ने में कठिनाई
  • पढ़ाई के लिए एकाग्रता से बैठने में कठिनाई
  • परीक्षा के दौरान भ्रम की स्थिति
  • विषय को समझने में कठिनाई
  • पढ़ाई छूटना या अवरोध
  • कमज़ोर याददाश्त

अध्ययन कक्ष सही जगह व आपकी जन्म-तिथि के अनुसार होना चाहिए तब ही लाभप्रद होता हैं।

अध्ययन कक्ष या स्टडी रूम के लिए वास्तु व सही दिशा:

अध्ययन कक्ष या स्टडी रूम के लिए वास्तु में चीज़ो/सामानों का सही स्थान पर होना बहुत ज़रूरी माना गया है जैसे कि स्टडी टेबल, टेबल लैंप, फोटो फ्रेम, बिस्तर आदि। इस प्रकार अच्छे परिणामों के लिए अध्ययन कक्ष या स्टडी रूम में रखी जाने वाली सभी वस्तुओं का सही दिशा में होना ज़रूरी है।

सरल वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, अपनी अनूकूल दिशा में बैठ कर पढ़ने से विद्यार्थी ऊर्जावान व उत्साहित महसूस करते हैं। सही दिशा उनके अजना चक्र को सक्षम कर के एकाग्रता स्तरों को बढ़ाती है।

स्टडी टेबल के लिए वास्तु के अंतर्गत:

  • स्टडी टेबल चौकोर या आयताकार होनी चाहिए।
  • स्टडी टेबल में कोई नुकीला हिस्सा नहीं होना चाहिए। इससे अध्ययन करने वाले छात्र की ऊर्जा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • अध्ययन तालिका (स्टडी टेबल) रोशनी के नीचे नहीं हो बल्कि उसके बराबर होनी चाहिए।

अध्ययन कक्ष के लिए वास्तु के 13 निम्नलिखित उपाय:

गुरुजी के सरल वास्तु सिद्धांतों के अनुसार:

  • अध्ययन कक्ष में खुला स्थान होना चाहिए इससे कॉस्मिक ऊर्जा के उचित प्रवाह में मदद मिलती है।
  • अध्ययन कक्ष की दीवारों को हल्के और सुखदायक रंग से रंगे। ये अध्ययन के लिए सकारात्मक माहौल बनाने में मदद करती है।
  • अध्ययन कक्ष के लिए गहरे रंगों के उपयोग से बचें। यह अध्ययन में मन को को विचलित कर सकता है।
  • अध्य्यन कक्ष में घने जंगल, बहता पानी आदि चित्रों का उपयोग करें, यह नए विचारों को उत्पन्न करने में मदद करते है।
  • पुस्तकों और अन्य वस्तुओं को स्टडी टेबल पर व्यवस्थित तरीके से रखा जाना चाहिए
  • सीधे प्रकाश की रोशनी के नीचे न बैंठे इससे यह आपकी एकाग्रता को प्रभावित करेगा।
  • छात्र को अध्ययन कक्ष के दरवाजे के बिल्कुल सामने नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि दरवाजे से आने वाली ऊर्जा का भारी प्रवाह उसकी एकाग्रता और ध्यान पर गलत प्रभाव डालता है।
  • बुकशेल्फ़ स्टडी टेबल के ऊपर होनी चाहिए। अध्ययन कक्ष में भगवान गणेश और देवी सरस्वती के चित्र होने चाहिए।
  • अध्ययन स्थान में पिरामिड रखने से ऊर्जा में संतुलन होता है और स्मरण शक्ति यानी याददाश्त बढ़ती है।
  • अध्ययन स्थान को किसी भी तरह की अव्यवस्था और शोर से दूर रखें।
  • विद्यार्थी की बैठक के पीछे एक ठोस दीवार होनी चाहिए।
  • अध्ययन कक्ष में शौचालय बिल्कुल नहीं हो।

अध्ययन कक्ष से संबंधित वास्तु के सामान्य मिथक:

सरल वास्तु के 19 वर्षों के गहन अध्ययन से “गुरुजी” ने अपने लाखों अनुयायियों के जीवन पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डाला है। उन्हीं के प्रयासों से संभव हो पाया है कि लोग अपने जीवन मे सकरात्मक ऊर्जा का संचार कर पाएं हैं। गुरूजी का मानना है कि हर व्यक्ति पर वास्तु शास्त्र का अलग प्रभाव होता है। ये प्रत्येक व्यक्ति की जन्म-तिथि के आधार पर निर्धारित किया जाता है। यह कोई सामान्य दिशानिर्देशों का सेट नहीं है जो सभी पर एक जैसा प्रभाव डाले। हर किसी के लिए वास्तु के उपाय अलग होते हैं।
उदाहरण के लिए एक घर में रहने वाले एक परिवार के बच्चों का पढ़ाई में एकाग्रता व कैरियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन रहता है तो वहीं दूसरी और उसी घर में रहने वाले दूसरे परिवार के बच्चों के कैरियर, पढ़ाई, स्मृति व एकाग्रता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उन्हें अनेक समस्याओं से जूझना पड़ता है। जबकि उस घर का वास्तु समान है। यह बताता है कि वास्तु सभी के लिए समान नहीं होता।

“गुरुजी” के अनुसार अध्ययन कक्ष या स्टडी रूम से जुड़े निम्नलिखित ग़लत मिथक :

  • आपके अध्ययन कक्ष में शौचालय होना चाहिए।
  • छात्रों को पढ़ाई करते समय कभी भी दीवार या खिड़की के सामने नहीं बैठना चाहिए।
  • बैठक कक्ष के दरवाजे केवल उत्तर पूर्व, उत्तर, पूर्व, पश्चिम में हो।
  • अध्ययन करते समय छात्रों को केवल उत्तर या पूर्व दिशाओं की तरफ मुँह करके ही बैठना चाहिए।
  • बुक शेल्फ को कभी भी स्टडी टेबल के ऊपर नहीं रखना चाहिए।
  • पेंडुलम घड़ियों का कमरे में होना पढ़ाई में मदद करता है।
  • स्टडी टेबल पर लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 1: 2 में होना चाहिए।