वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष में “अंजना चक्र” ज्ञान और बुद्धिमत्ता का होता है एवम “सहस्त्रा चक्र” को बेहतर स्वास्थ्य, परिवार के बीच सही ताल मेल व शांति लाने के लिए जाना जाता है।
पूजा कक्ष घर का सबसे पवित्र स्थान है। यह वह कक्ष है जहाँ हमें मन की शांति तो मिलती ही है साथ ही हम अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी करते है। अगर किसी भी प्रकार की नकरात्मकता पूजा कक्ष में है तो ये घर की उन्नति, भाग्य, कल्याण और सफलता को प्रभावित करती है।
पूजा कक्ष के लिए वास्तु को पूजा कक्ष के लिए वास्तु शास्त्र के रूप में भी जाना जाता है। इसमें मूर्तियों का स्थान, पूजा स्थल की दिशा और पूजा कक्ष में रखी जाने वाली विभिन्न वस्तुओं को शामिल किया जाता है।
पूजा कक्ष के लिए सरल वास्तु नकारात्मक ऊर्जा को हटा कर, सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए विभिन्न समाधान देता है।
पूजा कक्ष वह कक्ष है जिसमे वास्तु शास्त्र का खास ध्यान रखा जाना चाहिए क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों में से एक है। पूजा कक्ष में व्यक्ति को शांति व संतुष्टि प्राप्त होती है।