दुनियाभर में सभी जगह पर सकारात्मक आभा और ऊर्जा लाने हेतु वास्तु का वितरण करना और उसे लागू करना जिससे लाखो लोगों को उनके निजी जीवन तथा उनके व्यवसाय में लाभान्वित किया जा सके ।

सरल वास्तु की स्थापना सीजी परिवार समूह की कंपनियों के संस्थापक डॉ श्री चंद्रशेखर ” गुरूजी” के द्वारा की गई। गुरुजी को “मानव गुरु” के नाम से भी जाना जाता है। गुरुजी“वसुदेव कुटुम्बकम”के भारतीय सिद्धान्त में अटूट विश्वास रखते हैं। जिसका अर्थ है कि ये पूरा ब्रह्मांड एक परिवार है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए गुरुजी विश्वभर के लोगों के जीवन में सुख और खुशियां लाने के प्रयास में अनवरत अग्रसर है।

गुरुजी ने सम्पूर्ण भारत और विश्व के लोगों को सरल वास्तु को आसान तरीके से समझाने के लिये अब तक 2,000 से भी अधिक लेक्चर, सेमिनार और कार्यशालाएँ आयोजित की हैं। सरल वास्तु के सिद्धांत का लोगों के जीवन पर किस तरह प्रभाव पड़ता है, इन सेमिनार व कार्यशालाओं में गुरुजी ने इसे विस्तृत तरीके से लोगों तक पहुंचाया है।

सरल वास्तु की अवधारणा एक व्यक्ति के घर (स्वयं / किराए का) और ब्रह्मांडीय/कॉस्मिक ऊर्जा के प्रवाह द्वारा नियंत्रित व प्रभावित होती है।

सरल वास्तु – जीवन के सभी समस्याओं को सुलझाने के लिए आवश्यकता

अब तक, दुनियाभर में सरल वास्तु के लाख से भी अधिक खुश ग्राहक हैं जिन्होंने उपायों को अपनाया है और आज सुखी और समृध्द जीवन जी रहे हैं ।

सरल वास्तु के सिध्दांतो को अपनाकर 9-180 दिंनो में सलाह के कार्यान्वयन से आपको और आपके परिवार के लिए हम सफलता सुनिश्चित करते हैं ।

  • हर घर / कार्यालय के जीवन से संबंधित विभिन्न वर्ग हैं जिसमें मुख्य हैं धन, स्वास्थ्य, व्यवसाय, शिक्षा, विवाह और रिश्ते ।
  • ऊर्जा और दिशाओं के बीच उच्चस्तर का सहसंबंध है जिसकी वजह से या तो व्यक्ति अपने सफलता के शिखर तक पहुँचता है और खुशी लाता है या फिर पूरा जीवन मानसिक तनाव तत्था मानसिक आघात में व्यतित करता है ।
  • सम्पदा, स्वास्थ्य, कैरियर, शिक्षा, विवाह और रिश्तों से संबंधित विषयों की समस्याओं के केन्द्र में किसी व्यक्ति के लिए प्रतिकूल दिशाओं के प्रभाव के कारण आपके सात चक्र में असंतुलन होता है।
  • जब मनुष्य के चारों और सकारात्मक उर्जा का वास होता है, और वे अपनी अनुकूल दिशाओं के पथ पर चलते हैं तो सातों चक्र चैनलबद्ध और सक्रिय हो जाते हैं जिससे निरन्तर प्रसन्नतापूर्वक जीवन बिताया जा सकता है।
  • आपके सातों चक्रों को खोलना और उर्जा के स्वस्थ प्रवाह को अनुमत करना संतुलित बने रहने, अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने और सकारात्मक विचारों का एक सशक्त माध्यम है।
  • चक्र भिन्न भिन्न रंगों के विद्युतीय उर्जा के घूमते हुए पहिए हैं जो हमारे उर्जा क्षेत्रों, शरीर और विस्तृत ब्रहाण्डीय उर्जा क्षेत्र को कनेक्ट करते हुए अनेक कार्य करते हैं।
  • अपनी अनुकूल दिशाओं के साथ सामजस्य स्थापित करके आप अपने प्रयासों में सफलता हासिल कर सकते हैं।

तीन मुख्य कारक जो धरा पर भाग्य (वास्तु) को प्रभावित करते हैं

सरल वास्तु और सात चक्र

  • सम्पदा, स्वास्थ्य, कैरियर, शिक्षा, विवाह और रिश्तों से संबंधित विषयों की समस्याओं के केन्द्र में किसी व्यक्ति के लिए प्रतिकूल दिशाओं के प्रभाव के कारण आपके सात चक्रों में असंतुलन होता है।
  • जब मनुष्य के चारों और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, और वे अपनी अनुकूल दिशाओं के पथ पर चलते हैं तो सातों चक्र चैनलबद्ध और सक्रिय हो जाते हैं जिससे निरन्तर प्रसन्नतापूर्वक जीवन बिताया जा सकता है।
  • आपके सातों चक्रों को खोलना और उर्जा के स्वस्थ प्रवाह को अनुमत करना संतुलित बने रहने, अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने और सकारात्मक विचारों का एक सशक्त माध्यम है।
  • चक्र भिन्न भिन्न रंगों के विद्युतीय उर्जा के घूमते हुए पहिए हैं जो हमारे उर्जा क्षेत्रों, शरीर और विस्तृत ब्रहाण्डीय उर्जा क्षेत्र को कनेक्ट करते हुए अनेक कार्य करते हैं।
  • अपनी अनुकूल दिशाओं के साथ सामजस्य स्थापित करके आप अपने प्रयासों में सफलता हासिल कर सकते हैं।

“सरल वास्तु- प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट”

  • सरल वास्तु की संकल्पना व्यक्ति के घर (अपना/किराए का)/ कार्य स्थल, घर/ कार्यस्थल की दिशाओं और उर्जा के प्रवाह से नियंत्रित होती है।
  • कुल आठ दिशाएं यानि उत्तर, दक्षिण, पूर्व, और पश्चिम दिशाएं हैं जिन्हें आधारभूत दिशाएं कहा जाता है और वे बिन्दु जहां पर दो दिशाएं मिलती हैं उन्हें अंतर-आधारभूत या आधारभूत बिन्दु कहा जाता है जैसे उत्तर पूर्व (एनई), दक्षिण पूर्व (एसई), दक्षिण पश्चिम (एसडब्ल्यू) और उत्तर पूर्व (एनडब्ल्यू)।
  • हर व्यक्ति की उसके जन्म की तारीख के अनुसार चार अनुकूल और चार प्रतिकूल दिशाएं होती हैं।
  • किसी व्यक्ति या उसके परिवार के सदस्यों के सात चक्र चार अनुकूल और चार प्रतिकूल दिशाओं से नियंत्रित होते हैं। सरल वास्तु में उर्जा और सात चक्रों पर प्रभाव का मूल्याकंन किया जाता है और इसके आधार पर चिंता युक्त पहलूओं का पूर्वानुमान व्यक्त किया जाता है, जो घर (अपना/किराए का) /कार्यस्थल की दिशाओं पर आधारित होता है।
  • इस आकलन के आधार पर, चिंता से जुड़े पहलूओं को कम करने के लिए सलाह दी जाती है जिसमें किसी प्रकार का अवसंरचनात्मक परिवर्तन शामिल नहीं होता है।
  • घर/कार्य स्थल के संबंध में दिशा की अनुकूलता का आकलन करने के लिए परिवार के मुखिया की जन्म की तारीख (परिवार के लिए मुख्य आय अर्जक) पर विचार किया जाता है।
  • हर घर/कार्यस्थल में सरल वास्तु के सिद्धांतों का अनुपालन करके आप शांति, प्रसन्नता, सम्पन्नतता, अच्छा स्वास्थ्य, शिक्षा और चुने गए पेशे में सफलता, पुराने कानूनी विवादों का निपटान, निसंतान दम्पत्तियों द्वारा संतान प्राप्त करने में सहायता पा सकते हैं।
  • इसलिए आपके लिए यह उपयुक्त समय है क्योंकि आप सरल वास्तु को अपनाने की दिशा में पहला कदम उठा कर जीवन के हर पहलू में प्रसिद्धि, सफलता और प्रसन्नता पाने के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं।