क्या आप या आपका बच्चा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित न कर पाने जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं? क्या पढ़ाई करते समय बहुत ध्यान भंग होता है? क्या आपका अध्ययन कक्ष आपका ध्यान केंद्रित रखने में सक्षम नहीं है? ऐसे ही पढ़ाई व शिक्षा से संबंधित कई अन्य सवाल हमारे जीवन में हो सकते हैं।
अध्ययन के लिए बहुत अधिक चित्त, एकाग्रता और ध्यान देने की आवश्यकता होती है। आपको एकाग्र रहने के लिए अपने अध्ययन कक्ष और स्टडी टेबल पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अध्ययन कक्ष के लिए वास्तु के अंतर्गत स्टडी टेबल, टेबल लैंप, फोटो फ्रेम, बिस्तर, अध्ययन कक्ष में अन्य वस्तुओं आदि की दिशाओ और दशा पर ध्यान दिया जाता है।
आपकी ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने के लिए वास्तु एक महत्वपूर्ण कारक बन सकता है। पढ़ाई में अपने प्रदर्शन और अच्छे परिणामों को बढ़ाना व बनाएं रखना बहुत आवश्यक है। वास्तु अध्ययन कक्ष और स्टडी टेबल से कई नकारात्मक प्रभावों को दूर करने का काम करती हैं।
हम सभी जानते हैं कि हम एक अदृश्य ऊर्जा से घिरे हैं जो हमें बेहद प्रभावित करती है। इसमें हमारी बुद्धि और एकाग्रता कोई अपवाद नहीं है। वे इस अनंत ऊर्जा से प्रभावित होते हैं जिसे कॉस्मिक ऊर्जा कहते हैं। यह ऊर्जा हमारे आसपास एक सकरात्मक वातावरण बनाती है जिससे ही हम अपने जीवन में खुश और अच्छा महसूस करते है। इस ऊर्जा में यदि कोई भी असंतुलन, प्रतिकूलता बढ़ती है तो इसके नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।
गुरुजी ने बताया कि अपने जीवन में उचित फल प्राप्त करने के लिए ऊर्जा में संतुलन बना रहे इस पर ज़ोर दिया। इसे विस्तृत रूप से समझाने के लिए उन्होंने सरल वास्तु सिद्धांत बनाए। ये सिद्धांत पूरी तरह से कॉस्मिक ऊर्जा को जोड़ने, उसमे संतुलन बनाने और सही तरह चैनलाइज़ करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
अध्ययन कक्ष वास्तु का आपके व आपके बच्चे के जीवन में शिक्षा में आगे बढ़ने, सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने और अच्छे नतीजे लाने में बहुत महत्व है। गुरुजी के अनुसार, अध्ययन के लिए सर्वोत्तम दिशा हमेशा उस व्यक्ति की जन्म-तिथि के आधार पर होती है। यह सभी पर एक रूप से लागू होने वाला नियम नहीं है जो सभी को समान परिणाम दे।
वहीं वास्तु समाधान हर किसी की ज़रूरतों को एक तरह से पूरा नहीं कर सकता है। उदाहरण के तौर पर एक पिता ने एक अध्ययन कक्ष में अच्छी तरह से अध्ययन किया व सफलता पाई लेकिन उनका बेटा उस ही कमरे में ध्यान केंद्रित करने और खुद को एकाग्र करने में सक्षम नहीं हो पाता है क्योंकि अध्ययन के लिए सबसे अच्छी दिशा दोनों के लिए अलग-अलग हो सकती है।
अध्ययन के लिए सर्वोत्तम दिशा जानने के लिए सरल वास्तु सिद्धांत सही समाधान प्रदान करता है जो किसी व्यक्ति की जन्म तिथि पर आधारित होते हैं। अनुकूल दिशा की मदद से, एक छात्र अपने अजना चक्र को सक्षम कर सकता है और अधिक सक्रिय और केंद्रित महसूस कर सकता है।
अध्ययन कक्ष के लिए वास्तु में कई पहलू बताए गए हैं जो स्टडी टेबल और इसके लिए नियमों के बारे में बताते हैं। वास्तु के अनुसार:
- स्टडी टेबल में नुकीले किनारे नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे निकलने वाली ऊर्जा पढ़ाई करने वाले को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
- स्टडी टेबल चौकोर और आयताकार होनी चाहिए।
- स्टडी टेबल प्रकाश की किरण के नीचे नहीं होनी चाहिए।
सरल वास्तु सिद्धांतों का पालन करके, आप निम्नलिखित असफलताओं और परेशानियों को दूर कर सकते हैं:
- ध्यान और एकाग्रता का अभाव
- सीखने / संकल्पना को बनाए रखने में कठिनाई
- पढ़ने में कठिनाई
- पढ़ाई के लिए ध्यान से बैठने में कठिनाई
- परीक्षा के दौरान भ्रम की स्थिति
- विषय को समझने में कठिनाई
- शिक्षा का छूटना
- कमजोर याददाश्त (मेमोरी)
सरल वास्तु आपको एक बेहतर और वास्तु दोष मुक्त अध्ययन कक्ष की बनावट के लिए परामर्श प्रदान करता है। सरल वास्तु इन समस्याओं का उपाय बिना टूट-फूट या पुनर्निर्माण के बताता है। वास्तु के अनुसार बनाया गया अध्ययन कक्ष सफलता और उपलब्धियों को आकर्षित कर सकता है और आपको सबसे अग्रणी बना सकता है।
क्या आप जानते हैं ?
सरल वास्तु सिद्धांतों को अपनाने के बाद, आप 9 से 180 दिनों के भीतर अपनी अध्ययन संबंधी समस्याओं को हल कर सकते हैं।