अजना चक्र को तिसरी आँख चक्र अथवा भृकुटि चक्र कहा जाता है जो मानवी शरीर का छठा प्राथमिक चक्र है । इसे अंतरस्थ दृष्टी चक्र अथवा छठवाँ चक्र भी कहा जाता है । यह ज्ञान के द्वार खोलकर स्वयं की वास्तविकता को अनुभव करने में मदद करता है इसलिए इसे तिसरी आँख चक्र कहा जाता है ।

प्रतीकात्मक दृष्टी से कमल के साथ दो पंखुडियाँ के रूप में इसे दर्शाया जाता है और यह मानवी चेतना ( धारणा, स्पष्टता और ज्ञान ) और परमात्मा के बीच की विभाजन रेखा है । इस चक्र के द्वारा प्रदान होनेवाली ऊर्जा से स्पष्ट विचार, आत्म चिंतन तथा आध्यात्मिक जागरूकता की अनुमति प्राप्त होती है और उसका मंत्र ` ओम ‘ है ।

अजना चक्र दो भृकुटि के बीच में तथा नाक के पुल के थोडासा उपर स्थि होता है । यह आँखों के पीछे तथा सिर के मध्य में स्थित होता है । परंपरागत तौर पर, महिलाएँ बिंदी लगाती है और पुरूषों के माथे पर तिलक लगता है वहाँ पर यह चक्र सक्रिय होता है अथवा चक्र का प्रतीक होता है ।

अजना चक्र द्वारा मुख्यतः आँखे, कान, नाक, मस्तिष्क और तन्त्रिका तन्त्र ( नर्व्हस सिस्टिम ) अवयव नियन्त्रित किए जाते हैं । पीयुषिका ग्रंथी ( पिट्युटरी ग्रंथी ) व शीर्ष ग्रंथी ( पीनियल ग्रंथी ) भी इस चक्र के द्वारा नियन्त्रित की जाती है ।

असंतुलित अजना चक्र की वजह से जुड़े हुए कुछ शारीरिक समस्याओं में अक्सर सिरदर्द, साइनस और दृष्टि संबंधी जैसी समस्याएँ शामिल हैं । जिद्दी होना, अत्याधिक गुस्सा आना तथा बुरे सपने आना जैसे अन्य मामले भी इसमें शामिल हैं ।

  • अति सक्रिय अजना चक्र –
    अति सक्रिय अजना चक्र की वजह से अतिसक्रिय कल्पना शक्ति, वास्तविकता से दूर होना जैसे परिणाम प्राप्त होते हैं । जिस व्यक्ति का अजना चक्र अति सक्रिय होता है वह काल्पनिक दुनिया में रहता है और अक्सर बुरे सपनों से परेशान रहते हैं । व्यक्तियों को घटनाओं को याद रखने में परेशानी होती है और उनकी सख्त मानसिकता ( पूर्वग्रह ) होती है । ऐसे लोग आसानी से विचलित हो जाते हैं, चिंता से प्रभावित होते हैं तथा उनकी प्रवृत्ति आलोचनात्मक तथा सहानुभूतिहीन होती है ।
  • असामान्य रूप से सक्रिय अजना चक्र –
    असमान्य रूप से सक्रिय अथवा असक्रिय अजना चक्र के व्यक्तियों की स्मृति कमजोर होती है, उन्हें समस्याओं को सीखने में परेशानी होती है व चीजों की कल्पना तथा अनुमान करने के लिए मुश्कील होता है । उनमें / उनमें ( स्री ) सहज ज्ञान का अभाव होता है व दूसरों के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं तथा हमेशा खंडन करने के आचरण में रहते हैं । कुछ मामलों में अप्रिय यादों से बचने के लिए लोग इस चक्र को बंद कर देतें हैं ।

जिनका अजना चक्र संतुलित होता है वे आकर्षक व्यक्तित्व के तथा अंतर्ज्ञानी होते हैं । उनके शांतचित्त के द्वारा उनको चीजें स्पष्ट दिखाई देतीं हैं तथा दूसरों को आलोचनात्मक हुए बिना स्वीकार करतें हैं । जब तृतीय दृष्टि चक्र संतुलित होता है तब लोगों को अपने सपनों को याद करने में तथा उनका विवरण करने में आसानी होती है और उनकी स्मरणशक्ति अच्छी होती है ।

  • अजना चक्र को खोलने के लिए आँखे बंद करके अपने जीवन में अपने लिए कल्पना की हुई चीजें जैसे की व्यवसाय, रिश्ते, खुशी आदि सहित सकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित करके किया जा सकता है ।
  • ध्यान करते समय मरूआ के आवश्यक सुगन्धि तेलों का, दिव्य मूल, पचौली का इत्र ( सुगन्धरा ) आदि का इस्तेमाल करें । इस प्रकार की गंध चिकित्सा से तृतीय दृष्टि खोलने के लिए उपयुक्त है ।
  • जामुनी रंग तथा गहरे नीले रंग के रत्न जैसे जामुनी मणी ( ऐमेथिस्ट ), सोडालाइट, अॅझुराइट अजना चक्र को संतुलित करते हैं ।
  • सरल वास्तु के अनुसार अपने घर में बदलाव करें और दिशाओं के विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करें ।
  • जिस रूप में चीजें आती हैं उनको खुले दिमाग से स्वीकार करें और उनके सहजता की कल्पना करें ।
  • ओमेगा – 3 फैटी एसिड तथा प्रोटीन से भरपूर अन्नपदार्थो को ग्रहण करें जिससे मस्तिष्क की अनुभूति की क्षमता में वृध्दि होती है । स्ट्रॉबेरीज, ब्ल्यू बेरीज, अखरोट, सामन जैसी चरबीदार मछली आदि खाद्यपदार्थों का सेवन करें ।