वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। घर की तुलना में कार्यालय के लिए सही दिशाओं के महत्व को अधिक प्रासंगिक बताया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक व्यक्ति कार्यालय में अपना अधिकतर समय बिताता है। कार्यालयों के लिए वास्तु विज्ञान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। वास्तु के अनुसार ही कार्यालयों में बैठने की दिशा व स्थिति निर्धारित की जाती है।
वास्तु शास्त्र का उपयोग आज के समय मे केवल घरों के वास्तु में बदलाव के लिए ही नहीं बल्कि कारख़ानों, गोदामों, मालखाना और कार्यलयों जैसे सभी स्थानो के लिए किया जाता हैं। सभी जगहों के अलग-अलग वास्तु दोष होते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि किसी कार्यालय में वास्तुदोष पाया जाता है उसका प्रभाव वहाँ पर काम करने वाले कर्मचारियों के दिमाग और उनकी दक्षता पर पड़ता हैं साथ ही उसका गलत प्रभाव उन कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। वास्तु दोषो के वज़ह से कंपनियों और कार्यालयों को वित्तीय नुकसान भी उठाना पड़ता हैं।
वास्तु दोष कार्यालय में असंतुलित ऊर्जा का परिणाम है। कॉस्मिक ऊर्जा में यह असंतुलन कम लाभ या नुकसान, कर्मचारियों के प्रदर्शन में कमी, स्टेकहोल्डर्स के बीच विवाद, उत्पादकता में कमी आदि जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। ऐसी समस्याओं से बचने के लिए, गुरुजी ने सरल वास्तु सिद्धांतों की स्थापना की है। सरल वास्तु की मदद से होने वाले फ़ायदे: