रिश्ते तथा विवाह में लड़ाई झगड़े तथा संघर्ष बहुत ही आम है । लेकिन जब यह टकराव लगातार होता है और असहनीयता की स्थिती पर पहुँचता है तब उसे रोकना जरूरी हो जाता है । यह टकराव रिश्तों के किसी भी स्तर पर हो सकता है । नए शादीशुदा जोड़ों में, दम्पत्तियों में जिनके बच्चे हैं, जोड़ियाँ जिनके किशोर आयु के बच्चे हैं तथा बुढ़े लोगों में भी यह हो सकता है । एक सुखी विवाहित जीवन को बनाए रखने का दायित्त्व दोनों जीवनसाथियों पर निर्भर होता है । विवाह तथा रिश्ते पूर्ण रूप से समझौता, बलिदान और योगदान से बनते हैं । इसके पहले की संघर्ष हाथ से बाहेर निकल जाए उससे पूर्व ही उसे रोकना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है । हालांकि दम्पत्ति क्यों झगड़ा करते हैं इसके यहाँ पर असंख्य कारण हो सकते हैं उनमें से सर्वसाधारण कारणों को नीचे सूचीबध्द किया है –
अलग जीवन शैलियाँ –
खासकर नव दम्पतियों में मतभिन्नता होति हैं और झगड़ों की वजह से दोनों प्रभावित होते हैं । शादी के बाद पत्नि को अपना घर छोड़के आना पड़ता है और पति के घर की रितीरिवाजों के साथ समायोजित ( अॅडजस्ट ) करना पड़ता है तथा शादी के बाद पति को भी बहुत सी गतिविधियों का परित्याग करना पड़ता है जिनको वह पहले किया करता था । अगर जीवनसाथी एक दूसरे से संवाद नहीं करेंगे तथा एक दूसरे की इच्छाओं के साथ समायोजित ( अॅडजस्ट ) नहीं करेंगे तो यह दोनों में संघर्ष का कारण बनता है । यह समझना जरूरी है कि चीजें ऐसी ही होनेवाली है और उनमें बदलाव करने की शुरूआत करना इसका उपाय है । दोनो जीवनसाथीयों द्वारा करने योग्य घर के कामों की सूची बनाने की सलाह दी जाती है हालांकि यह सुनिश्चित करके कि काम का बटवारा दोनों में संघर्ष का कारण न बनें ।
संपत्ति –
जीवनसाथियों के बीच में ( शादी के कुछ समय बाद अथवा बच्चे होने के बाद ) संपत्ति को लेकर सबसे आम झगड़े होते हैं । वित्तिय मामलों को लेकर होनेवाले संघर्षों में पति या पत्नि की विभिन्न वेतन तथा संपत्ति के प्रबंधन की और उसे खर्च करने की विभिन्न अवधारणाओं की वजह से दोनों में झगड़ें हो सकते हैं । चर्चा करना इन संघर्ष का एक ही संभव समाधान है । मासिक खर्च, बचत, निवेश तथा बीमा पॉलिसियों पर चर्चा करें ।
बच्चे –
बच्चों का होना अनेक लोगों के लिए सबसे बड़ी खुशी होती है लेकिन आजकल के युग में लोग अपने स्वयं के बच्चों को पैदा करने से अनिच्छुक होते हैं । दम्पतियों को अपने बच्चों के बारे में अथवा शादी से पहले बच्चे को जन्म देने के बारे में चर्चा करना अनिवार्य होता है । हालांकि, जब बच्चा पैदा होता है तो प्रत्येक माता पिता ने बच्चे की देखभाल करने के लिए अपनी जिम्मेदारी का योगदान देना चाहिए ।
ससुराल –
शादी के बाद पति व पत्नी एक दूसरे को बहुत जल्दी पसंद करने लगते हैं तथा एक दूसरे के मित्र बन जाते हैं लेकिन अपने ससुरालवालों के साथ अनुकूल बनाना एक बड़ी समस्या बन गया है । यह बहुत पेचीदा मामला है लेकिन हर दम्पति को यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि अपने माता पिता तथा ससुराल वालों के साथ के उनके रिश्ते की वजह से उन दोनों के रिश्ते पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए ।
एक दूसरे से संवाद करने के मामले –
शादी में एक दूसरे से संवाद न हो ना अथवा संवाद कम होना यह हमेशा संभव है । कभी कभी संघर्ष से बचने के लिए लोग संवाद ना करने के लिए सोचते हैं । लेकिन ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है । एक दूसरे से संवाद करते समय ताने मारकर बात करना तथा अनुमान लगाने से बचना चाहिए ।
दम्पतियों में संघर्ष से विस्फोट होने पहले ही उसे शांत करना आवश्यक है । जैसे उपर उल्लेख किया गया है कि यहां पर बहुत सारे आजमाये हुए तथा परखे हुए तरीकें हैं जिनसे सुनिश्चित होता है कि दम्पत्तियों के बीच के झगड़ें सुलझ जाएँ ।
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए विवाह में झगड़ों को सुलझाने का सबसे अनोखा तरीका वास्तु के माध्यम से है । घर तथा सोने के कमरे की वास्तु में परिवर्तन करने से दम्पत्तियों को सकारात्मक वाइब्ज का अनुभव होता है और एक दूसरे से अच्छी तरह से संवाद करने में मदद मिलती है । यहां पर घर के लिए कुछ आसान वास्तु टिप्स दिए गए हैं –