२५. प्राचिन काल से भारत मे वास्तु विज्ञान का महत्व एक अध्ययन

भारत के सभी राज्यों में से विविध भारतीय भाषाओं और लिपिओं में उपलब्ध वास्तु साहित्य पर मैंने संधोधन किया है । भारत के सभी राज्यों में से वास्तु विशेषज्ञों ने अपनी अनेक किताबो और हस्तलिखित पुस्तकों में यह उल्लेख किया है कि, हमारे देश का, भौगोलिक स्थान सीमित नही है वास्तु के दृष्टी से संपूर्णरुप से आयोग्य है । मैंने इस मुद्दे पर लगातार चर्चा की है और अध्ययन भी किया है और मैं बहुत ही दृढ़ता और यकीन के साथ इस निर्णय पर पहुंचा हुं कि, भारत का वास्तु, निसंदेह एकदम योग्य है । संपूर्ण भारतवर्ष में यदि मैं अकेला ही, ऐसा नागरिक हुं, जो देश पर गर्व महसूस करता हुं, तब एक इंजिनियर के तौर पर, एक सरल वास्तु विशेषज्ञ के तौर पर या एक व्यक्ति के तौर पर सरल वास्तु संकल्पनाओं द्वारा प्रमाणित वास्तुशास्त्र प्रस्तुत करता हुं, तब यदि मैं मेरे विचारों और अपनी स्वीकृति में भी चाहे अकेला ही क्यों न रहुं, फिर भी प्राचीन भारतीय वास्तुशास्त्र पर आधारित सरल वास्तु की संकल्पनायें और सिद्धांतों की मान्यता पर कोई प्रभाव नही पडेगा ।

अपने आप ही बन बैठे, तथाकथित पाखंडी वास्तु विशेषज्ञों द्वारा ऐसे विचार का प्रचार किया है कि, भारत देश का वास्तु, ऐसी प्राचीन किताबों में लिखे गए वास्तुशास्त्र के नियमों और सिद्धांतों पर आधारित नही है । अपने स्वयं के सिद्धांतों को समर्थन देने के लिए वह लोग निम्ननिर्देशित कारणों को प्रदान करते है :

  • ऐसी मान्यता है कि, किसी भी देश का उत्तरपूर्व भाग, दिशाओं के अन्य भागों से उंचा नही होना चाहिए । हिमालय, हमारे देश के उत्तरपूर्व भाग पर स्थित है और तुलनात्मक रुप से ऊंची जगह पर है, इसके परिणामस्वरुप, पर्वतशृंखलाएं, उन समतल मैदानों की तुलना में ऊंची जगह पर स्थित है ।
  • उत्तरपूर्व भाग में दोष है ।
  • दक्षिण भाग में पानी नही होना चाहिए ।
  • दक्षिण भाग की ओर का विस्तारित प्रदेश घटते क्रम में नही होना चाहिए ।

ऐसे विशेषज्ञों अनुसार, ऐसी परिस्थितियां, वास्तु सिद्धांतों के अनुरुप नही है, समस्त भारतवर्ष बारबार बीमारियां, महामारियां फैलने से, आंतरविग्रहों, बिना किसी भी कारण से लोगों की समय से पहले मृत्यु, संप्रादायिक, हिंसा तथा घर में पारिवारि संघर्षो, के कारण संयुक्त परिवारों में आपसी मतभेंद तथा विभिन्न बुराईयां और दुघटनाओं की जाल में फंसा रहेगा, जोकि, संपूर्ण देश की प्रगती और विकास का बुरा प्रभाव डालेगा ।

किताबों में दिए गए अस्पष्ट और और आश्चर्यजनक नियमों के आधार पर, तथाकथित वास्तु पंडितों के अभिप्राय भी दिए गए है । जो बारबार वास्तुशास्त्र की किताबों के बारे में वर्णन करते हैं, उन्हें मैं कहना चाहता हुं कि, वो लोग कुछ सवालों का उत्तर मुझे दें ।

  • क्या यह बात सच नही कि, भारत, बहुत ही घनवान और समृद्ध राष्ट्र था, सोने की चिडियां औ दुध और शहद की भूमि कहा जाता था । यहॉ हरएक प्रकार के बहुत से संसाधनों के उपलब्ध होने के बावजूद क्या कोई देश इतना समृद्ध था ?
  • क्या यह ऐतिहासिक वास्तविकता नही है कि, कई सदियों तक विदेशी आक्रमणकारों, जैसे कि, नादिर शाह, अहमद शाह और अब्दाली आदि ने भारत की समृद्धि को लूटने और उसे अपने देश में ले जाने के लिए आक्रमण नही किए थे ?
  • प्राचीन भारत में कर्नाटक का एक ऐसा राज्य था,जोकि दक्षिण भारत में विजयनगर राज्य के नाम से विख्यात हुआ था, जहॉ सोना और मूल्यवान रत्नों, आभूषणों, हीरे, माणिक आदि का अनाज की तरह तोल किया जाता था और खुले रास्ते पर उसकी बिक्री होती थी । इस राज्य में रहते लोगों के पास सोना, मूल्यवान रत्न आदि बड़ी तादाद में थे, जैसे कि, हारी दुकानों में अधिक मात्रा में खाद्य पदार्थ होते है । क्या यह सच नही है ? और प्राचीन भारत के लोगों के बारे में वह क्या साबित करता है ।
  • क्या यह बात सच नही कि,जब ब्रिटिश, मरीमसाले का व्यापार करने के उद्देश्य से पहली बार भारत आये थे, किंतु जब वह हमें छोडकर चले गये, तब भी पर्याप्त संपत्ति थी, क्या वह आज तक नही चल रही है ?
  • वर्ष १९४७ में भारत और पाकिस्तान ने एक साथ स्वतंत्रता प्राप्त की, दोनों देश, व्यक्तिगतरुप से स्वतंत्र देश बने, स्वतंत्रता प्राप्ति को ६९ साल हुए, आज हम कौनसी स्थिति में पहंचे है ? क्या मुझे कहने की आवश्यकता है कि, इनमें से किस देश ने ज्यादा प्रगति कि है और सभी क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया है ?
  • झब, पोखरण के रेगिस्तान में परमाणु बोम्ब विस्फोट परीक्षण किया गया था तब शक्तिशाली और धनवान देशों ने हमारा बहिष्कार किया था ।भारत विरुद्ध प्रतिबंध लगा दिया था । क्या इससे भारत प्रभावित हुआ ?उन्होंने देखा कि, भारत ने शांति के लिए परमाणु शक्ति का उपयोग करके अपने बलबूते पर प्रगति की है, उस के बाद, उन्होंने बगैर किसी शर्त के प्रतिबंध हटा लिया । क्या यह सब हम नही जानते है ?
  • क्या भारत, दुनिया की ६ बड़ी परमाणु शक़्तियों में से एक देश नही है ?
  • क्या आप यह नही जानते कि, विश्व में सिर्फ भारत एक मात्र देश है, जिसने रास्तों के निमार्ण के लिए एक ही समय में ६०,००० करोड़ खर्च कर डाले थे ?
  • जैसे कि, मसिर्ड़िझ, बेंझ, फोर्ड, होन्डा, लेक्सस और अन्य ब्रान्ड की गाडियां भारत में उपलब्ध ही नही थी, किंतु क्या आप वह भारत में स्थानिक स्तर पर उपलब्ध नही है ? इतना ही नही, क्या भारत के उत्पादन केन्द्रों में से उसकी निर्यात नही की जाती ?
  • हाल में ही के अध्ययन से हमे यह पता चला है कि, समग्र विश्व में इंजिनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक और मैनेंमेंट विशेषज्ञ मूलत:भारतीय मूल के हैं, अन्य देशों के लोगों की तुलना में उनकी संख्या अधिक है और संख्या के आधार पर प्रभुत्व रहनेवाले भारतीयों द्वारा दी जानेवाली सेवाऍ, अन्यों द्वारा दी जानेवाली सेवाओं की तुलना में उत्तम है और कार्य की गुणवत्ता भी बहुत ही अच्छी और बेहतर है ।

मैं आशा रखता हुं कि, उपर दिए गये मुद्दों के अनुसार भारत एक संपूर्ण और ऊंचे दर्जे का देश है । सरल वास्तु संकल्पनाऍ, भारत में वास्तुशास्त्र का प्रमाण बहुत वर्षो से है, यह स्पष्ट्ररुप से दर्शाता है और वास्तुशास्त्र किसी भी घर, या किसी भी व्यापारिक साहस, या किसी भी गॉव या तहसील, किसी भी राज्य या शहर के लिए और इस परिप्रेक्ष्य में समस्त भारतवर्ष में कार्यन्वित किया जा सकता है । यह सारी बातें मेरे अध्ययन को बल प्रदान करी है और मैं बड़े ही गर्व से घोषित करता हुं कि, २०२० तक भारत वह दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनकर रहेगा ।

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