एक प्रमुख मिथक यह माना गया है कि उत्तर मुखी घर हमेशा खुशियों को आकर्षित करने के लिए चुम्बक की तरह काम करते हैं। लेकिन क्या इसे सच मान लिया जाए? हर उत्तर मुखी घर में रहने वाले लोग हमेशा खुश और समृद्ध हों ऐसा बिल्कुल ज़रूरी नहीं है।
वास्तु शास्त्र एक विशाल विज्ञान है जिसमें सभी लोगो के लिए समान नियमों का कोई विशेष सेट नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट और भिन्न प्रकार के समाधान देने वाला विज्ञान है। उत्तर मुखी घर के लिए वास्तु केवल दिशा के अनुसार खुशियों को आकर्षित करने के लिए सर्वव्यापी समाधान नहीं है, बल्कि यह परिवार के मुखिया की जन्म–तिथि पर निर्भर करता है। वास्तु के ज़रिए मुख्य द्वार की दिशा पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसमें ये पता लगाया जाता है कि घर की योजना में उत्तर मुखी द्वार कितना महत्वपूर्ण है या नहीं।
गुरुजी ने वास्तु का गहराई से अध्ययन किया है और इस तथ्य को सामने लाये कि वास्तु उतना सतही या आसान नहीं है जितना कि कई विशेषज्ञ समाज के सामने इसे दिखाते हैं। वास्तु से संबंधित परेशानियों का समाधान प्रत्येक व्यक्ति की जन्म–तिथि पर निर्भर करता है। उन्होंने अपने सरल वास्तु सिद्धांतों में इसकी सही रूप में व्याख्या की हैं। सरल वास्तु के अंतर्गत जन्म की तारीख के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए उचित और लाभकारी वास्तु समाधान प्रदान किए जाते हैं।
इसे आसान रूप से इस बात से समझ जा सकता है कि एक पिता ने विशेष दिशा में अपने जीवन में भरपूर धन और सुख प्राप्त किया है लेकिन उसी मुखी घर में समान वास्तु योजनाओं का पालन करने के बावजूद भी उसके बेटे को जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता नहीं मिल पा रही है। इस तरह ये स्पष्ट है कि यह किसी व्यक्ति के लिए अनुकूल दिशा तय करने का सबसे महत्वपूर्ण कारक है।
उत्तर मुखी घर में होने वाले प्रतिकूल प्रभावों का कारण उस घर में रहने वाली असंतुलित ऊर्जा है। हम अपने चारों और ऊर्जा के कणों से घिरे हैं। इसी कॉस्मिक ऊर्जा में यदि किसी तरह का कोई असंतुलन बनता है तो ये घरों में आनंद के स्थान पर क्लेश व परेशानियां पैदा करती है।
गुरुजी ने सरल वास्तु सिद्धांतों की मदद से ऊर्जा के संतुलन पर ध्यान केंद्रित किया है। सरल वास्तु सिद्धांतों के माध्यम से ऊर्जा से दिशाओं के द्वारा जुड़ा जाता है, संरचना के द्वारा उसमे संतुलन लाया जाता है और चक्रों के द्वारा उसे चैनलाइज किया जाता है। इस प्रकार हमारे भीतर व आस–पास मौजूद कॉस्मिक ऊर्जा को संतुलित किया जाता है।
एक घर का निर्माण करते समय दिशाएं बहुत आवश्यक कारक होता हैं, इसलिए किसी भी व्यक्ति को पहले से ही उसकी अनुकूल दिशा का ज्ञान होना चाहिए। इस तरह से घर बनाते समय व्यक्ति पूर्ण रूप से भावनात्मक, शारीरिक, वित्तीय और मानसिक सभी स्तरों में अधिक से अधिक सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
क्या आप जानते है?
सरल वास्तु सिद्धांतों को अपनाने के बाद, आप 9 से 180 दिनों के भीतर उत्तर मुखी घर संबंधी सभी वास्तु समस्याओं को हल कर सकते हैं।
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