मणिपुर चक्र को सौर जाल चक्र तथा नाभि चक्र के रूप में जाना जाता है और यह मानवी शरीर में तीसरा प्राथमिक चक्र है । ` मणि ‘ का अर्थ ` मोती ‘ है तथा ` पूरा ‘ का मतलब ` शहर ‘ और मणिपुर मतलब है ज्ञान के मोती । ( इसका एक और मतलब है कि जगमगता रत्न और यह बुध्दि तथा स्वास्थ्य से संबंधित होता है । ) आत्म विश्वास और आत्म आश्वासन, खुशी, विचारों की स्पष्टता, ज्ञान तथा बुध्दि और योग्य निर्णय लेने की क्षमता यह रत्न व मोती इस चक्र में निहित है । यह चक्र चेतना का केंद्रबिंदू माना जाता है जो शरीर के अंदर की ऊर्जा का संतुलन करता है । यह इच्छाशक्ति को नियंत्रित करता है और खुद के लिए तथा दूसरों के प्रति सम्मान को मन में बिठा देता है ।

यह कमल के साथ दस पंखुडियों के प्रतिकात्मक रूप में दर्शाया जाता है जो सूचित करता है कि दस पंखुडियाँ यह दस अत्यावश्यक महत्त्वपूर्ण शक्तियाँ है जो स्वास्थ्य को बनाए रखती है तथा उसे मजबूत बनाती है । मणिपुर चक्र नीचे इशारा करनेवाले त्रिकोण से भी दर्शाया जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा के विस्तार को सूचित करता है । यह अग्नि तत्त्व तथा पीले रंग से दर्शाया जाता है । पीला रंग ऊर्जा तथा बुध्दि को सूचित करता है ।

विशुध्द चक्र का स्थान

विशुध्द चक्र गले की ओर खुलता है और तिसरे तथा पाँचवे गर्दन के रीड़ के जोड़ ( व्हटिब्रे ) में स्थित होता है ।

विशुध्द चक्र से संबंधित अवयव तथा बीमारियाँ –

विशुध्द चक्र मुख्य रूप से मुँह, दाँत, जबड़े, गला, गर्दन, भोजन नलिका, थायरॉइड ग्रंथी और रीढ़ की हड्डी के कार्यों को नियंत्रित करता है ।

पीड़ादायक गला, कान में इन्फेक्शन, पीठ तथा गर्दन में दर्द, थायरॉईड के विकार और दाँत तथा मसूढ़ों की तकलीफें यह इस चक्र की वजह से आनेवाली कुछ शारीरिक समस्याएँ हैं । कमजोर संवाद, दुर्बल श्रोता, बातों में हकलाहट होना, कमजोर आवाज़ और वर्चस्व दिखाकर से बातें यह समस्याएँ निष्क्रिय कंठ चक्र की वजह से आनेवाली मानसिक तथा भावनिक कठिनाईयाँ हैं ।

अवरूध्द तथा असंतुलित विशुध्द चक्र की वजह होनेवाली समस्याएँ –
  • अति सक्रिय विशुध्द चक्र –
    अति सक्रिय विशुध्द चक्र की वजह से व्यक्ति बातें करते वक्त चिल्लाता है तथा उनको बोलने तथा उनका सुने बिना ही दूसरों पर अधिकारवाणी से बातचीत करता है । उनका आवाज ऊँचे स्वर में तथा कर्णवेधी होती है और वे आलोचनात्मक हो जाते हैं तथा चीजों का अतिविश्लेषण करतें हैं ।
  • असामान्य रूप से सक्रिय विशुध्द चक्र –
    जो व्यक्ति धीरे-धीरे बातें कर है, डरकर बातें करता है अथवा हकलाता है उसका कंठ चक्र असामान्य रूप से निष्क्रिय होता है । ऐसे लोगों को बातचीत की शुरूआत करने में कठिनाई होती है तथा बोलते समय उचित शब्दों का उपयोग करने में मुश्किल होती है ।
संतुलित विशुध्द चक्र के लाभ –

संतुलित विशुध्द चक्र वाले लोगों का आवाज सुस्पष्ट तथा अनुकंपन ( रेजोनन्स ) के साथ, साफसुथरी तथा लय में होती है ।

विशुध्द चक्र को खोलना –
  • विशुध्द चक्र से विचारों का आदान प्रदान नियंत्रित होता है इसलिए सत्य बोलना तथा किसी के विचार व राय को व्यक्त करने से यह चक्र खुल जाता है । व्यक्ति अपनी अंदर की भावनाएँ व्यक्त करने के लिए और अपनी आत्म-विशिष्टता को जानने के लिए डायरी को रख सकता है ।
  • जप करना तथा गायन ( और अन्य कलात्मक गतिविधियाँ जैसे चित्र या कलाकृतियाँ के रूप में ) की वजह से विशुध्द चक्र खुल सकता है ।
  • अवरूध्द तथा असंतुलित विशुध्द चक्र ध्वनि, मंत्र तथा रंगों से खुल सकता है । ध्यान करते समय सकारात्मक विचार तथा निले रंग की कल्पना करना यह इस चक्र को खोलने का दूसरा तरीका है । बैठकर अथवा नीले आसमान के नीचे तथा समंदर या झील जैसे शुध्द नीले रंग के पानी के पास बैठकर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है ।
  • अक्वामरिन, नीला टर्मलाइन, लापीस लाजुली, फिरोज़ा आदि सहित कंठ चक्र को संतुलित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है ।
  • हालांकि अवरूध्द चक्र सबको प्रभावित करता है छात्रों को विशुध्द चक्र को खोलने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है । छात्रों का कमरा हमेशा वास्तु शास्र के अनुरूप होना चाहिए तथा छात्रों ने पढ़ाई करते समय उसकी / उसकी अनुकूल दिशा का सामना करना चाहिए ।
  • जादा पानी की मात्रा होनेवाले खाद्य पदार्थों की वजह से चक्र खुलता है जिसमें फल, सब्जियाँ तथा ज्यूसेस् आदि शामिल हैं ।
  • सुगंध चिकित्सा के उपायों में चंदन, गुलाब, येलांग-येलांग आदि आवश्यक तेलों से ध्यान करते समय तथा पढ़ाई करते समय चक्र के स्थान पर मालीश किया जा सकता है ।