२६. भारत का नक्शा (भौतिक और राजकीय )

ऊपर दर्शाये हुए भारत के नक्शे (भौतिक और राजकीय )अनुसार, देश की कार्यकारी, कानूनी और न्यायतंत्र की सरकारी संस्थानों के प्रमुख कार्य संसद में से होते है, जिन्हें हम संसद भवन के नाम से जानते हैं, जो दिल्ली मे स्थित है ।नई दिल्ली, केंन्द्र सरकार है और इसे देश का हद्य भी कहा जाता है, यहॉ से समग्र देश की संस्थानों को आवश्यक संकेत और आदेश दिए जाते है।

हमारे देश के सबसे ऊपर के भाग, पर यानी कि, दक्षिणपूर्व हिस्से पर हमारे, पास प्रचंड हिमालय पवर्तश्रृखंलाएं हैं। दक्षिण की ओर, हमारे पास शक्तिशाली महासागर उपस्थित हैं – बंगाल की खाड़ी, अरब समुद्र और नीचे के हिस्से में भारतीय समुद्र:इस प्रकार, हमारे देश के आसपास, तीनों ओर महासागर उपस्थित हैं।

एक राष्ट्र या एक उपमहाद्वीप को भारतीय उपमहाद्वीप कहा जाता है, वह तीनों दिशाओं में स्थित शक्तिशाली महासागरों से घिरा हुआ एक सुंदर, भूप्रदेश है, जिसे भारत कहा जाता है । यह प्रकृति

का वास्तव में बहुत हि बड़ा उपहार हैं। यह हमारा अहोभाग्य और विशिष्ट गुण है कि, हम ऐसे भाग्यशाली है कि, ऐसे प्रकृति द्वारा सुरक्षित भूस्थल पर रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जिसका, मानवजाति की उत्पत्ति के समय से अस्तित्व है और प्रचीन, संस्कृति और सभ्यता की उत्कृष्ता प्रदर्शित करता हैं।पूरे विश्व में सभी लोग हमारी संस्कृति और सभ्यता के महत्त्व और प्रभाव को भलीभॉती जानते है । हमें हमारे पुरखों की ओर से बहुत ही आधुनिक और विकसित संस्कृति और सभ्यता विरासत में मिली है । हम सभी को इस देश में जन्म लेने की बात पर गर्व है की अनुभूति होनी चाहिए । इसके लिए मैंने अपनी भविष्यवाणी आज से कुछ वर्ष पूर्व, पहले से की कि, भारत विश्व में एकमात्र स्थायी और विकसित देश के रुप में उबरकर आयेगा और वर्ष २०२० के बाद विश्व का सबसे अधिक विकसित देश बनकर वह चीन और अमेरिका से आगे निकल जायेगा। यदि भारत इसी प्रकार से प्रगति कि गति बनाये रखेगा तो इस भविष्यवाणी के बारे में कोई संशय नही होगा क्योकि, अर्थतंत्र के सभी क्षेत्रों में, सामाजिक, आर्थिक और राजकीय क्षेत्रों में आज देश प्रगति कर रहा है ।यह अंतिम सत्य है और इस बारे में किसी को जरा भी संशय नही होना चाहिए। ऐसे वास्तु पंडितों को मैं बिनती करना चाहता हुं कि, वास्तु संबंधित साहित्य के बारे में, लिखित स्वरुप में या मौखिक स्वरुप में, जो जानकारी इस पीढ़ी को प्रदान की गई है, वह भारत के बारे में गलत, अस्पष्ट और उलझनभरी मान्यताओं और झूठी बातें प्रस्तुत करते हैं, फिर चाहे वह, भारत के प्रचीन वास्तुशास्त्र का गलत अनुमान लगाते हो या तथाकथित रुढ़ीबद्ध काल्पनिक बातें हो, जो हमारी संस्कृति और सभ्यता के साथ जुडी हो, उसमें हमें, हमारे देश की ऐसी जानकारी को सभी वास्तु संबंधित साहित्य में हमारी मान्यता के रुप में सम्मिलित करना चाहिए और इसे आत्मासात् करनी चाहिए ।

वास्तु की सर्वाजनिक समझ और नियमों तथा सिद्धांतों के विषय में यह आवश्यक है कि, हमारे देश के बारे में या वास्तु के बारे में जानकारी का गलत प्रस्तुति करने की बजाय वास्तु संबंधित वास्तविक संकल्पनाओं के सच्ची धारणाओ के बारे सबसे पहले हम सीखें । हमारे अस्पष्ट संशयों की वजह से महारे मन में शंकाओ का सर्जन हुआ है, जिसे हमने हमारे मन और हद्य में बिठा लिया है । वास्तु और सरल वास्तु के प्रारंभिक प्रकरण से पहले मैंने वास्तु पुरुष की आकृति को उदाहरण द्वारा समजाया था, यही मेरे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है । रुढ़ीबद्ध जानकारी और गलत कल्पित जानकारी को दूर करने के मेरे प्रयास को आपको समजना पडेगा, इस प्रकार की जानकारियां, हरएक प्रकार के वास्तु पंडितों द्वारा वर्षो से प्रदान की जा रही है, जिन्होंने प्रचीन काल से ऐसी गलत मान्यताओं का प्रचार किया है । सुनी हुई या गलत समझी हुई बातों द्वारा ख्यातनाम प्रचीन वास्तु विज्ञान की गलतफहमियों और पाखंडों को सुधारने का और उसका स्पष्टीकरण करने का मेरा प्रमुख उद्देश्य और आदर्श है ।

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