सलाह, अपने आप बन बैठे विशेषज्ञों द्वारा दी जाती है, जो उनके ग्राहकें को उनकी असत्य और अनावश्यक सलाहों द्वारा संपूर्ण रुप से गुमराह करते है । यदि ऐसे अनैतिक, पाखंडी वास्तु विशेषज्ञों की बातों को अनसुना कर देने पर या उनकी बातों का ध्यान न देने पर कमजोर मनवाले और भयभीत लोगों को भाग्य का डर दिखाते है ।
दूसरी ओर, सरल वास्तु आपकी वास्तु संबंधित समस्याओं के लिए सरल उपाय प्रदान करता है । सरल वास्तु विशेषज्ञों और हमारे द्वारा सूचित किए गए समाधानों में वास्तु दोषों से छुटकारा पाने के संबंध में सीड़ियों की तोड़–फोड़ और नवीकरण को सम्मिलित नही किया जायेगा । जैसे कि, दोषयुक्त सीढ़ी के दुप्रभावों को प्रभावहीन बनाने के लिए कुछ विशिष्ट प्रकार के आईनों को आवश्यक स्थिति में रखे जाते है, वह सरल वास्तु का हमारा सरल उपाय होगा ।
कुछ विख्यात वास्तु विशेषज्ञ, अवांछित और संपूर्णरुप से अस्वीकार्य सलाह देते हैं कि, कुछ वृक्ष, सकारात्मक ऊर्जा के मार्ग में अवरोध का कारण बन सकते है, परिणामस्वरुप, उपाय यह है कि, वृक्षों को काटकर दूर कर देना, जिससे उन्हें किसी स्थान की गलत दिशा में स्थित या घर के मुख्य दरवाजे के सामने उपलब्ध किसी भी हरियाली हो दूर करने की सलाह दी जाती है । इस प्रकार की लापरवाह और अविचारी सलाह से जुड़ी प्रक्रिया संपूर्ण रुप से पर्यावरण के अस्थित्व का खंडन करती है और मानवजाति और प्रवृत्ति के बीच उपलब्ध संवादितापूर्ण संबंध में आशंति का सर्जन करती है, जिसका समर्थन, वास्तविक वास्तु संबंधित साहित्य या सच्चे वास्तु प़ंड़ित कभी नही कर सकते है । किसी भी सभ्यता या संस्कृति में सिर्फ वृक्षों की ही नही बल्कि, फ्लोरा ( वनस्पत्ति–सृष्टी ) और फॉना ( प्राणी– सृष्टी )को पवित्र माना गया है ।
इसके अलावा, वह पर्यावरण और विश्व की सभी प्रजातियों के रक्षण के लिए सहायरुप होते है । मैं आप सभी को व्यक्तिगत तौर पर बिनती करता हुं कि, इस प्रकार के क्रूर, दुष्ट और अमानवीय कार्यो में कभी भी सहभागी मत बनना, विश्व में कोई भी तपश्चर्य, जिससे हम इस जंगलियता के घिनौनी प्रवृत्तियों के दोषी बन जाए, जिसकी प्रकृति के प्रति इस प्रकार ले लापरवाही की कभी भी प्रतिपूर्ति नही कर सकती हो ।
वृक्षों, फूलों, पौधों, फल देनेवाले वृक्षों आदि से हमें असंख्य लाभ प्राप्त होते है, जो हमारे पर्यावरण को शुद्ध करते है । घने जंगलों की वजह से बारिश होती है, शहरी और ग्रामीण विस्तारों में ठंडे वातावरण का सर्जन होता है, थके–हारे मुसाफिरों, प्रवासियों को छाया देते है । योग्य वनस्पति–सृष्टि और प्राणि –सृष्टि के कारण दृश्य की सुंदरता में भी बढ़ोत्तरी हुई है, जिससे प्रकृति आपकी सच्ची वास्तविक मित्र बनी है। यदि हम, हमारे आसपास की भूमि को हरियाली बनाने के लिए विख्यात हुए कल्पवृक्ष की आर्थिक सहायता देकर प्रोत्साहित करें तो किसी भी प्रकार की विषमता या अजीब नामकरण नही होगा । जैसे कि, उपर कहा गया उस प्रकार सरल वास्तु हमें सरल समाधान और उपाय प्रदान करते है, जो यह सभी अनुचित रुप से स्थापित वास्तु दोषों से छुटकारा सरल वास्तु के सरल वैज्ञानकि और तार्किक समाधानों द्वारा किया जा सकता है ।

चित्र १ : मुख्य द्वार से बिलकुल सामने से निकलता वृक्ष का बाह्य भाग
प्रसिद्ध वास्तुशास्त्र की किताबों स्पष्ट करती है कि, घर के मुख्य द्वार से नजदीक या मुख्य द्वार के सामने के हिस्से में किसी भी प्रकार के वृक्ष या पौधे नही होने चाहिये । किंतु, संर्पूणरुप से विकसित वृक्ष को जड़ से ही ही काट डालें या निकाल दे वह तो संर्पूण मूखर्ता और लापरवाही का कार्य होगा, जोकि अवश्यरुप से उसका बुरा परिणाम होगा । वृक्ष काटने के से दुप्रभाव से बचने के लिए सरल वास्तु ऐसी समस्याओं के शमन के लिए सरल और आसान समाधानों कि सलाह प्रदान करता है । घर के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए सरल वास्तु, वृक्ष काटने का या उसे दूर करने की सलाह नही देता ।

चित्र-२ : रास्ते पर STOP चिह के अलावा मुख्य द्वार के सामने बंजर जगह
घर में स्थित बैठक खंड या ड्राइंग रुम घर का एक महत्तवपूर्ण भाग होता । जो घर में निवास करनेवाले सदस्यों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है । खंड मे सजाये हुए मुलायम सोफा सेट, अन्य फर्निचर, इलेक्ट्रोनिक उपकरण और उपलब्ध हरएक– समाग्री की वास्तु विज्ञान में एक महत्व है । कई बर जाने–अनजाने में, घर के ऊर्जा स्त्रोंतों और ऊर्जा के मुक्त प्रवाह के मार्ग में मानवसर्जित अवरोधों के रुप में कार्य करते है और यदि आप दरवाजे के बहुत ही नजदीक खड़े हैं तो कई बार घर में प्रवेश करते ऊर्जा के प्रवाह के प्रवेश को संपूर्णरुप से रोकने का कारण बनते है । इसके फलस्वरुप, हम लोग सजाने की जो सामाग्रियॉ लाते है और उसे लटकाते हैं, उस विषय में जानना अति आवश्यक है, यदि वह ऊर्जा के प्राकृतिक रुप से बहते प्रवाह में अवरोध बनेगा तब वह घर में रहनेवाले सदस्यों को बहुत ही नुकसान पहुंचा सकते है । इस प्रकार की आपातकालीन परिस्थिति में, सरल वास्तु विशेषज्ञों का सलाह प्राप्त करना ही बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
जब हम घर का निमार्ण करते हैं तब हम समजते है कि, घर के वास्तु अनुसार, पूजा का स्थान और दिशास्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण है । पूजा खंड की दिशा या पूजा जगह कहॉ पर यथायार्थ से होनी चाहिए या उसे स्थानांतरित करनी चाहिए, इस बारे में आग विस्तृत चर्चा की गई है । वास्तुशास्त्र की किताबों के अनुसार और वास्तु तथा मंदिर के पुजारी दोनों के पुरोहितो और पंडितों द्वारा दिए गए प्रमाणीकरण अनुसार, उत्तर–पूर्व दिशा में पूजा खंड रखने की उन्होंने सहमति दी है । इसके अलावा यह कहा गया है कि, हम जहा हमारे देवी–देवताओं की प्रतिमाएं या छवियॉ रखते हैं वह मंच सीढी के नीचे खाली जगह में नही रखने चाहिए, न तो शौचालयों, स्नानगृहों के उपर या नीचे रखने चाहिए और न शौचालय की दीवारों से स्पर्श होना चाहिए ।
इसके पीछे का महत्वपूर्ण कारण यह है कि, देवी और देवताओं की प्रतिमाओं को सकारात्मकऊर्जा का त्रोत माना जाता है और उपर कहे गए स्थानों में बहुत ही अधिक मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते है। यदि दोनों को एक–दूसरे के पास–पास बिठाया जाये तो उनके विरुद्ध, विरोधाभासी ऊर्जाओं के उद्भव की वजह से घर में निवास करते लोगों के हद्य मन में अनुचित और अनावश्यक परेशानी और तनाव पैदा होता है, ऐसे स्त्रोतों की नकारात्मक ऊर्जा के विरुद्ध जाने से उस घर में रहनेवाले लोगों कीमनोवैज्ञानिक परिस्थिति और मनोदशा में तबाही मचा सकती है । ऐसे घरों में निवास करनेवाले लोग हमेशा मानसिक तनाव भुगतते रहेंगे और मन शांति और सौहार्द सदा उनसे दूर ही रहेंगे । यदि पूजा खंड के स्थान की बात घर आयोजन के समय में ही पहले से ही सुनिशचित की जाये तो घर संपूर्णरु से दोषों से मुक्त वास्तुयोग्य निर्माण होगा और भविष्य में किसी भी रुप में आनेवाली मानसिक अशांति में से भी संपूर्णरुप से मुक्ति मिलेगी और घर में शांति, संवादित और सौहार्द वातावरण होगा ।