मूलाधार चक्र या मूल चक्र ( रूट चक्र ) यह मानवी शरीर का प्राथमिक चक्रों में सबसे पहला चक्र है । हालांकि सभी चक्रों के कार्य महत्त्वपूर्ण है लेकिन अधिकांश का मानना है कि मूलाधार चक्र स्वास्थ्य तथा समग्र भलाई के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है । ऐसे माना जाता है कि पिछले जीवन की यादें तथा कार्यों को इस क्षेत्र में संग्रहित किया जाता है । यह मानव और प्राणीयों की चेतना में सीमा रेखा बनाती है । यहाँ प्रत्येक व्यक्ति के भविष्य की नींव तथा व्यक्तित्व विकास की शुरूआत होती है । इस चक्र की वजह से मनुष्य को चेतना, जीवन शक्ति और संवृध्दि जैसी विशेषताएँ प्राप्त होती है । हालांकि इसके अनुचित कार्य की वजह से परिणामतः आलस्य तथा आत्मकेंद्रित प्रवृत्ति आ सकती है ।
प्रतिकात्मक रूप से इसे कमल के साथ चार पंखुडियाँ के रूप में दर्शाया जाता है जो अचेतन मन की चार भावनाएँ सूचित करती है । इस चक्र का मंत्र है ` लाम ‘ । मूलाधार चक्र का तत्त्व अथवा मूल ` धरा ( Earth ) ‘ है और इसका रंग लाल है ।