मूलाधार चक्र या मूल चक्र ( रूट चक्र ) यह मानवी शरीर का प्राथमिक चक्रों में सबसे पहला चक्र है । हालांकि सभी चक्रों के कार्य महत्त्वपूर्ण है लेकिन अधिकांश का मानना है कि मूलाधार चक्र स्वास्थ्य तथा समग्र भलाई के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है । ऐसे माना जाता है कि पिछले जीवन की यादें तथा कार्यों को इस क्षेत्र में संग्रहित किया जाता है । यह मानव और प्राणीयों की चेतना में सीमा रेखा बनाती है । यहाँ प्रत्येक व्यक्ति के भविष्य की नींव तथा व्यक्तित्व विकास की शुरूआत होती है । इस चक्र की वजह से मनुष्य को चेतना, जीवन शक्ति और संवृध्दि जैसी विशेषताएँ प्राप्त होती है । हालांकि इसके अनुचित कार्य की वजह से परिणामतः आलस्य तथा आत्मकेंद्रित प्रवृत्ति आ सकती है ।

प्रतिकात्मक रूप से इसे कमल के साथ चार पंखुडियाँ के रूप में दर्शाया जाता है जो अचेतन मन की चार भावनाएँ सूचित करती है । इस चक्र का मंत्र है ` लाम ‘ । मूलाधार चक्र का तत्त्व अथवा मूल ` धरा ( Earth ) ‘ है और इसका रंग लाल है ।

मूलाधार चक्र का स्थान –

यह रीढ़ की हड्डी ( स्पाइनल ) के मूल छोर पर स्थित होता है ।

मूलाधार चक्र संबंधित अवयव तथा बीमारियाँ –

इस चक्र द्वारा प्रजनन अंगों, प्रतिरक्षा प्रणाली और बड़ी अंतड़ी इन अवयवों को नियंत्रित किया जाता है ।

अनुचित तरीके से कार्य करनेवाले मूलाधार चक्र की वजह से प्रोस्टेट की समस्याएँ, मोटापा, गठीया रोग, वेरिकाज़ नसों, पीठ के नीचले भाग की समस्याएँ, कूल्हे की समस्याएँ, घुटनों में सूजन और खाने में अरूचि जैसी समस्याएँ निर्माण हो सकती है । व्यक्ति की हड्डियों की संरचना कमजोर हो सकती है तथा उनकी शारीरिक संरचना अशक्त हो सकती है ।

अवरूध्द तथा असंतुलित मूलाधार चक्र से उत्पन्न होनेवाली समस्याएँ –
  • अति सक्रिय मूलाधार चक्र –
    जिनका मूल चक्र अति सक्रिय होता है तब किसी मामलों में वे छोटे से कारण की वजह से गुस्से में आक्रमक व नाराज़ हो जाते हैं । व्यक्ति दूसरों को दादागिरी करना शुरू कर देता है और उसे वरिष्ठ लोगों का कहना मानने में मुश्किल हो जाती है । जो लोग लालची होते हैं तथा भौतिक सांसारिक चीजों को अधिक महत्त्व देनेवाले होते हैं उनका मूलाधार चक्र अति सक्रिय होता है ।
  • असामान्य रूप से सक्रिय मूलाधार चक्र –
    जिनका मूलाधार चक्र कम सक्रिय होता है वह लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं । व्यक्ति अपने आपको स्थिर रखने में असमर्थ हो जाता है और बाहरी दुनिया से खुद को अलग कर देता है । दैनिक कार्य पूरा करने में उनको कठिनाई होती है तथा संगठित रहने में परेशानी हो जाती है । जो लोग अशांत, शर्मिले तथा अति बेचैन होते हैं उनका मूल चक्र असामान्य रूप से निष्क्रिय होता है ।
संतुलित मूलाधार चक्र के लाभ –

मूल चक्र अन्य सभी प्रमुख तथा छोटे चक्रों को जीवन ऊर्जा वितरित करता है । जब मूल चक्र संतुलित होता है तब व्यक्ति स्वस्थ होता है तथा संपूर्ण स्वास्थ्य का अनुभव करता है । वह या वह ( स्री ) शारीरिक रूप से सक्रिय तथा निश्चयी हो जाते हैं ।

मूलाधार चक्र को खोलना –
  • प्रथम चक्र को खोलने के लिए व्यक्ति ने रीढ़ की हड्डी के मूल छोर पर जहां चक्र स्थित है वहाँ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए । इस जगह पर ध्यान करते हुए कमल के फूल की कल्पना करो ।
  • मूलाधार चक्र का तत्त्व ` धरा ‘ है । बीना कुछ पहने हुए घास या रेत पर चलना यह इस चक्र को खोलने का एक तरीका है । पैरों की सफाई करना ( पेडिक्योर ) या नृत्य करने से इस चक्र को प्रभारित किया जा सकता है ऐसे मानते हैं ।
  • किसी भी आवास के लिए ( घर, दुकान, कार्यालय आदि ) सरल वास्तु के सिध्दांतो को ध्यान में रखते हुए और अनुकूल दिशाओं का सामना करना यह मूलाधार चक्र को खोलने का सबसे आसान तरीका है ।
  • यलांग यलांग ( ylang ylang ) ( एक हरे पीले रंग का सुगंधित वृक्ष ), जेरेनियम गुलाब, एंजेलिका आदि के आवश्यक तेलों को ध्यान करते वक्त नाड़ी बिंदुओं पर लगाने से मूल चक्र को खोलने में मदत मिलती है । बारी बारी से इन तेलों से पैरों को मालिश की जा सकती है ।
  • लाल सेब, अनार, स्ट्रॉबेरीज्, बीट, लाल मूली आदि खाने के पदार्थ प्रथम चक्र को पोषण देते हैं ।