एक बार बेलगाम, कर्णाटक में एक बुजुर्ग उनके पास आपने घर के लिए वास्तु संबंधित कुछ समस्याओं पर सलाह-परामर्स करने के लिए आये। उन्होने आपने ग्राउन्ड फ्लोर का घर किराये पर दिया हुआ था ओर वह प्रथम मंजिल पर रहते थे। वह जानना चाहते थे कि, क्या उन्हें पूरे घर का वास्तु उपाय करना चाहिये या सर्फ प्रथम मंजिका जाहाँ रहते हैं, पर इस पर मैनें उनको सलाह दी कि जबसे आपने ग्राउन्ड फ्लोर का घर किराए पर दाया है तब से घर के उस हिस्से मे वास्तु की खामी पैदा हुई है, उस घर का वास्तविक मालिक होने के बावजूद भी जिस व्यकित ने किराये पर घर लिया है, उसके जीवन पर वो असर करेगा। अब प्रथम मंजिल वह गह है, जहाँ वास्तविक मालिक उसके परिवार के साथ रहता था और उसका उपयोग उसके अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए करते थे। ऐसे मे किराये पर रहने वाला व्यक्ति घर के सिर्फ उस हिस्से की वास्तु की खामियाँ सुधारकर लाभ प्राप्त कर सकंगे। इस के अलावा, यदि ग्राउन्ड फ्लोर का वास्तु अगर परिवार की मुखिया की जन्म तीख द्वारा नर्धारित किया जाए तो वह किराये पर रहने वाले व्यक्ति के लिए अनुरुप और अनूल रहेगा। वह आवश्य ही उस परिवार मे समृद्धि और धन संपन्नता लायेगा। मालिक ने सहजभाव से मुझे बताया कि, जब उसने ग्राउन्ड फ्लोरका घर, जिन लोगों को किराये पर दिया था वह जब रहने आये थे तब बहुत ही सामन्य परिस्थितवाले थे, कन्तु धीरे-धीरे उन्होंने संपत्ति और समृद्धि एकत्रित की और अब व बहुत सी गाडियों के मालिक हैं। जब कि वह खुद (मालिक) आज भी पुरानी सायकल ही चलाता है। यह वृत्तांत हर एक व्यक्ति के लए आँख खोलने वाली घटना साबित होगी।
क्या यह आश्चर्यजनक बात नही हैं कि किस प्रकार कोई व्यक्ति भवन बनवाता है,
दूसरा उसमें निवास करता है तथा तीसरा इनके होने के बावजूद
‘वास्तु-लाभ’ प्राप्त करता हैं।
इसलिए निवास करनेवाला मकान, चाहें आपका निजी हो या किराए पर लिया गया हो; यह अब आपके घर अथवा प्रतिष्ठान में उपस्थित वातावरण या माहौल पर निर्भर करता हैं, जो बहुत ज़्यादा मायने रखता हैं आपके सुख व समृद्धि के लिए।
मैं स्वयं ऐसे लोगें से मिला हूँ, जो अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति या घर खरीदते हैं तथा वास्तु के लिए अपनी स्त्री का नाम संपत्ति के मालिक के रुप में बतलाते हुए, वास्तु-दोषों का निराकरण अपने घर या प्रतिष्ठान में करवाते हैं, अपनी ‘पत्नी के जन्म-तिथि’ के अनुसार। परन्तु ऐसी स्थिति में भी, वह अपनी व्यक्तिगत समस्यायें को बिल्कुल भी न हल होने की शिकायत करते हैं।
इस प्रकार का ‘विरोधाभास’, एक दूसरे प्रकार के प्रश्न को जन्म देता है, अगर वास्तु सिर्फ ‘रजिस्टर्ड नामवाले’ या ‘रजिस्ट्री नामांकित’ व्यक्ति को ही फायदा पहुँचाती हैं तो घर के दूसरे सदस्यें जैसे पति, बच्चें, सासससुर, देवर, ननद-भौजाई आदि की स्थिति व परिस्थिति क्या होगी?“ इस प्रकार से वास्तु-दोषें के निराकरण हेतु, सिर्फ ‘रजिस्टर्ड-मालिक’ या ‘रजिस्ट्री नामांकित’ व्यक्ति के जन्म-तिथि के हिसाब से ‘वास्तु-दोषों’ का निराकरण करना, न तो तर्कसंगत हैं और न ही व्यवहारिक। इसलिए यह अत्यंत ही आवश्यक हैं कि घर के वास्तु का आकलन, घर के ही ‘मुख्य-कमाई’ करनेवालें के निजी जन्म-तिथि के उढपर आधारित हो तथा उसे ही एक ‘मानक’ के रुप में लिया जाये। यह घर में रहनेवाले सभी सदस्यें को स्वीकार होना चाहिए जिससे यह स्पष्ट हो जाए कि परिवार की सभी सदस्य, इस एकमात्र ‘मुख्य कमाई करनेवाले सदस्य के पैसों के उढपर आधारित हो। यहॉँ पर यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि यह तथ्य, मकान के निजी मालिकाना हकवाली संपत्ति या मकान अथवा किराए के मकान, दोनें के उढपर समान रुप से लागू होती हैं।