सकते है । फिर भी, हरएक व्यक्ति को यह बात ध्यान में रखनी चाहिये कि, घर के अध्ययन खंड में अन्य किसी भी प्रकार के वास्तु दोष नही होने चाहिये, अन्यथा छात्र के अध्ययन पर इसका बुरा प्रभाव पडेगा विद्यार्थी के पास उसके खंड में अध्ययन का निश्चित स्थान होना चाहिये, जहां शिक्षा की देवी, मॉ सरस्वती की स्थापना की जा सके । यदि अध्ययन की जगह के साथ कोई समस्या हो या घर में उसके स्थान के बारे में कोई दोष हो तब तो छात्र के लिये अवश्य ही शैक्षणिक बाधारुप रहेगा ।
छात्रों के लाभ के लिए मैंने बहुत से कॉलेजों में विशिष्ट प्रवचन दिए है । हजारों छात्रों द्वारा सरल वास्तु के सिद्धांतों को उनके जीवन में स्थान देने की वजह से, उनके छात्र-जीवन में और उनके कैरियर को शास्वत और परिपूर्ण करते हुए अनेकानेक प्रसंगो से संबंधित बहुत सारे उदाहरण उपलब्ध है । ऐसे सफल छात्रों और उनके विवरण के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए महारे महारास्ट्र, कर्नाटक और गुजरात स्थित कार्यालयों को संपर्क करने के लिए हम आपको निमंत्रति करते है ।
सरल वास्तु अनुसार, एक घर, जोकि, आरोग्य , संपत्ति, यश, कैरियर, विवाह, संबंध, सर्जनात्मक्ता, शिक्षा आदि के लिए एक खाश स्थान है, वो उत्तर–पूर्व दिशा सरस्वती या शिक्षा / ज्ञान का स्थान प्रस्तुत करती है। यदि वह विशिष्ट स्थान घर में से गायब हो उस जगह पर शौचालय / स्नानगृह के आकार में अवरोध हो तब छात्र, शैक्षणिक जीवन और शिक्षा के क्षेत्र में अवश्य ही समस्याओं का सामना करेंगे, चाहे वह कितना भी बुद्धिमान या विद्वान हो ।
एक समय, जब मैं बैंगलोर में प्रवचन दे रहा था तक एक छात्र ने मुषसे पूछा सर आपके कहे अनुसार मैं मेरी अनुकूल दिशा अनुसार अपने घर में और अध्ययन कक्ष में, आवश्यक परिवर्तन कर इच्छित लाभ ले सकता हु किंतु परीक्षा वर्ग में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना संपूर्णरुप से असंभव है । इस मामले में क्या किया जा सकता है ? यह बहुत ही महत्तवूर्ण सवाल है । चित्र के उदाहरण की सहायता लेकर मुझे इस बारे में वर्णन करने दीजिये कि, ऐसी परिस्थित में क्या किया जा सकता है ।

चित्र-1
जिस प्रकार, चित्र-1 में दिखाया गया है कि, यदि छात्र की परीक्षा का टेबल उत्तर दिशा की ओर हो और विद्यार्थी सीधा बैठा हो, तब उसका अर्थ यह हुआ कि विद्यार्थी उत्तर दिशा की ओर मुह रखकर बैठा हुआ है ।

चित्र-2
चित्र-2 के अनुसार यदि विद्यार्थी के लिए उत्तर दिशा उसके अशुभ दिशाओं में से एक हो तब उs थोडी दायी दिशा में मुड़ना चहिये, ताकि उत्तर–पूर्व ( ईशान) कोने की ओर मुह रखकर बैठ सके । छात्र / छात्रा के लिए निश्चित रुप से यह लाभदायी होगा और वह अपनी शुभ दिशा प्राप्त करेगा / करेगी ।

चित्र-3
चित्र-3में दर्शाये अनुसार, यदि छात्र की शुभ दिशा उत्तर –पश्चिम दिशा है, तो वह थोडा बांयी ओर मुड़ सकता है, ज़िससे उसका चेहरा उत्तर –पश्चिम दिशा में रहेगा । इस प्रकार से,सरल वास्तु, जटिल वास्तु दोषों का सरल समाधान प्रदान करता है, और इसे बहुत ही आसानी से और सरलतापूर्वक कार्यन्वित किया जा सकता है, जिसे घर के भीतर या बाहर, किसी प्रकार के परिवर्तन किये बगैर या किसी भी प्रकार की तोड़–फोड़ किये बगैर कहीं भी, किसी भी स्थान पर अपनाया जा सकता है ।