स्वाधिष्ठान चक्र ( इसे धार्मिक चक्र अथवा उदर चक्र भी कहते हैं ) मानवी शरीर का दूसरा प्राथमिक चक्र है । ` स्वा ‘ का शाब्दिक अनुवाद स्वयं और ` स्थान ‘ मतलब जगह होता है । स्वाधिष्ठान चक्र वो जगह हैं जहाँ से मानवी समझ की और मानवी संवर्धन का दूसरा चरण की शुरूआत होती है । ऐसे कहा गया है कि यह चक्र मन का आवास अथवा अचेतन मन के लिए घर होता है । गर्भाशय में गर्भधारणा होने के बाद से जीवन के सभी अनुभव तथा यादों का संग्रह यहाँ किया जाता है । यह चक्र नकारात्मक लक्षणों की जानकारी के बाद उसे नष्ट करके व्यक्तित्व के विकास को स्पष्ट करता है ।
यह चक्र कमल के साथ छह पंखुड़ियाँ से प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया जाता है जिसमें हर पंखुड़ी छह नकारात्मक विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती है । स्वाधिष्ठान चक्र का तत्त्व जल है और इसका रंग नारंगी है । इसका मंत्र ` वाम ‘ है ।