चित्र – गलत आयोजन दर्शाता है.
चित्र – गलत आयोजन दर्शाता है.
वास्तुशास्त्र के विषय पर उपलब्ध विभिन्न पुस्तकों और साहित्य द्वारा यथार्थ रु से प्रचारित हुए और स्थापित मानकों और ऱुढ़िओं की वजह से लोग उनके घर का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर–पूर्व (ईशान) दिशा की ओर रखने के लिए प्राथमिकता देते हैं, ऑखें मुंदकर उसे शुभ दिशा मानते हैं। मैंने ऐसे बहुत से मामलों और उदाहऱणों को देखे हैं, जहॉ मुख्य प्रवेश द्वार को अनावश्यक रुप से उत्तर–पूर्व दिशा स्थानांतरित किया गया है। हमें यह याद रखना चाहिये कि, बंगला या स्वतंत्र भवन के परिसर के द्वार का निर्माण किसी भी जगह किया जा सकता है लेकिन फ्लैट और अपार्टमेंट में संभव नही जो भी दिश हमें पसंद आती हो, वहॉ पर परिसर का द्वार बनाया जा सकता है। सिर्फ इस बात की ही सावधानी रखनी होती है कि परिसर का द्वार, भवन या मकान के द्वार से बिल्कुल सामने या समांतर रेखा में न हो।
वास्तुशास्त्र के विषय पर उपलब्ध विभिन्न पुस्तकों और साहित्य द्वारा यथार्थ रु से प्रचारित हुए और स्थापित मानकों और ऱुढ़िओं की वजह से लोग उनके घर का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर–पूर्व (ईशान) दिशा की ओर रखने के लिए प्राथमिकता देते हैं, ऑखें मुंदकर उसे शुभ दिशा मानते हैं। मैंने ऐसे बहुत से मामलों और उदाहऱणों को देखे हैं, जहॉ मुख्य प्रवेश द्वार को अनावश्यक रुप से उत्तर–पूर्व दिशा स्थानांतरित किया गया है। हमें यह याद रखना चाहिये कि, बंगला या स्वतंत्र भवन के परिसर के द्वार का निर्माण किसी भी जगह किया जा सकता है लेकिन फ्लैट और अपार्टमेंट में संभव नही जो भी दिश हमें पसंद आती हो, वहॉ पर परिसर का द्वार बनाया जा सकता है। सिर्फ इस बात की ही सावधानी रखनी होती है कि परिसर का द्वार, भवन या मकान के द्वार से बिल्कुल सामने या समांतर रेखा में न हो।
इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि, सीधी रेखा में आनेवाली ऊर्जा अत्याधिक बलपूर्वक और शक्ति से घर में प्रवेश करती है, जिससे, उस घर में रहनेवाले लोगों के लिए, अप्रिय घटनाऍ और हरएक प्रकार की अशांति एरां अव्यवस्था का निर्माण कर सकती है।
जहॉ इस परिसर का मुख्य दरवाजा या प्रवेशद्वार घर के मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने समांतर रेखा में न आता हो तो ऐसे सभी किस्सों में यह मान लेना उचित नही है कि, अगर पूर्व दिशा में घर का प्रमुख द्वार एक आदर्शात्मक परिस्थिति है। अगर ऐसा न हो तब भी सरल वास्तु के सीधे –सादे उपचारात्मक उपायों के होते हुए, लोगों को चिंता करने की कतई आवश्यकता नही है।सरल वास्तु संकल्पनायें और सिद्धांतो अनुसार, उपचारात्मक उपायों को सरल तरीके से लागू करके सदा के लिए इस समस्या पर प्रभुत्व प्राप्त किया जा सकेगा। ऐसी परिस्थिति के समाधान के लिए सुसंगत उपाय द्वारा बंगला या भवन के मुख्य प्रवेशद्वार को इस प्रकार से सुयोजित किया जायेगा कि, मुख्य द्वार से घर तक जाने के लिए टेढा–मेढा रास्ता बनाया जाये। निर्माण के समय इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि, मार्ग समांतर रेखा में न बनाया जाये। तथा मुख्य प्रवेश द्वार से घर के दरवाजे तक पहुचने का रास्ता एक समान ना हो।
चित्र – सही चिन्ह दिखाते हुए
इस बात की समझ यहॉ दिए गए चित्र में प्रस्तुत आदर्श परिस्थिति द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
* We will call you via video for Free Vastu Prediction .