चक्र मानव शरीर में पावरहाउस(उर्जाकेंद्र) और साइकोएक्टिव (मानसिक सक्रियता) ऊर्जा का केंद्र हैं। चक्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है पहिया और इसे ऊर्जा पैदा करना वाला चरखा या चक्र कहा जा सकता है। हालांकि अब तक लोगों ने सात चक्रों के बारे में सुना है, मानव शरीर में कुल 114 चक्र हैं, जिनमें से मूख्यतः सात प्रमुख चक्र हैं, जो मान शरीर और मन को प्रभावी ढंग से प्रभावित कर सकते हैं। चक्र सूक्ष्म ऊर्जा का वह बिंदु हैं जो चार्ज हो जाते हैं जब हमारी आंतरिक ऊर्जा हमारे आसपास की प्राकृतिक ऊर्जा के साथ तालमेल करने लग जाती हैं।
चक्र आध्यात्मिक और भौतिक चरण के बीच महत्वपूर्ण संबंध हैं। सात चक्र जीवन के कई आध्यात्मिक, भावनात्मक और भौतिक पहलुओं को परिभाषित करते हैं। जब किसी भी चक्र में कोई गड़बड़ी या रुकावट होती है, तो व्यक्ति किसी भी स्वास्थ्य और मानसिक समस्याओं से पीड़ित हो सकता है। वास्तु के चार विज्ञान अर्थात् दिशा, संरचना, ऊर्जा और चक्र विज्ञान चक्रों का प्रबंधन करने में मदद कर सकते हैं। आइए सही क्रम में चक्रों के महत्व पर को जाने और शरीर में उनकी क्या भूमिका है इसका पता लगाएं।
मूलाधार (जड़ चक्र) – जड़ चक्र का रंग लाल रंग जैसा होता है और यह रीढ़ के हड्डी के आधार में स्थित होता है। यह पृथ्वी से मानव शरीर के संबंधो को परिभाषित करता है और एक मजबूत शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए इसको आधार प्रदान करने का काम करता हैं।