१४. दक्षिण – पश्चिम ( नैऋत्य ) दिशा – किस प्रकार से परिवार के मुखिया के लिए अनुकूल ( शुभ ) है ?

CH-14

दक्षिण पश्चिम शयनकक्ष

आधुनिक युग में भवन निर्माण के दौरान उपयोगी वास्तु के अनुसार घर के मुखिया का शयनकक्ष, घर के दक्षिण पश्चिम कोने में स्थित होना चाहियेकिंतु यदि ऐसा संभव हो तब शयनकक्ष का नवीकरण या उसमें परिवर्तन करने की कोई आवश्यकता नही हैऐसा माना जाता है कि, शयनकक्ष में अवांछित समूहों जैसे कि, खराब स्थिति में इलेक्ट्रिकल उपकरणों, इलेक्ट्रोनिक वस्तुऍ, पुराने अनुपयोगी और प्रयुक्त समाचारपत्र और पत्रिकाऍ बिखरी हुई नही होनी चाहियेइस प्रकार की गंदगी नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ोत्तरी करती है और बड़ी तादाद में आरोग्य संबंधित समस्याओं का कारण बनती हैऐसी सलाह दी जाती है कि, इस सब चीजों से बचने के लिये अनावश्यक चीजों को व्यवस्थित रुप से स्टोर रुम में रखनी चाहिये

यदि शयनकक्ष के साथ स्नानगृह या शौचालय संलग्न हो तो बहुत ही अच्छा खासकर उन कक्ष के लिए जहॉ घर का मालिक नींद लेता है और आराम करता हैयदि शयनकक्ष में आईना हो तो रात्रि के समय उसे ढ़ंककर रखना चाहिये क्योंकि, दिन के दौरान आईना सकारात्मकऊर्जा में बढ़ोत्तरी करता है, किंतु रात्रि के समय तो वह बहुत ही नकारात्मक ऊर्जा पैदा करता हैरात्रि के समय, जब हम हमारे शयनकक्ष में सोते है तब यदि नकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोत्तरी हो तो वह हम सभी के लिए आरोग्य संबंधित समस्याओं का सर्जन करता हैसंक्षेप में कहा जाये तो रात्रि के समय नकारात्मक ऊर्जा का उत्पादन कम से कम होना चाहिये, परिणामस्वरुप, हरएक के ७ चक्र सक्रियहो जाते हैं।

यहाँ इस बात की सवधानी बरतनी बहुत ही महत्वपूर्ण है कि,शयनकक्ष में भयंकर आाढमक मुद्राओंवाले देवी देवताओं के चित्र, या दीवार पर किसी भी देवी देवताओं के फोटोग्राफ नही टांगने चाहियेसंस्कृत में एक कहावत है कि, यद् भवो तथ भ़वति, अर्थात् आपके मन में जो कछ घटित होता है, वह होकर रहता हैइसके आगे इसे इस प्रकार से समझाया जा सकता है कि, यदि हम दीवार पर युध्द या संग्राम दर्शाते हुए चित्रों या छवियां रखेंगे तो वह हमें आाढमक और चिड़चिड़ा बनने के लिए प्रेरित करते हैइस प्रकार की तस्वीर दंपतियों के बीच अनावश्यक विवाद खड़े कर सकते है हमारी भारतीय संस्कृति में भी, जब घर की स्त्राr गर्भवती होती है, तब उनके शयनकक्ष में भगवान श्रीकृष्ण कि छवि रखी जाती है, जिसके परिणामस्वरुप, मॉ के पेट में पल रहा अजन्मा बालक भी ऐसी ही सकारात्मक ऊर्जा के साथ पैदा होता है

ऐसा भी माना जाता है कि, शयनकक्ष में दीवार पर लगाये गये पोस्टर्स / केलेन्डर्स / चित्रों मे पानी के किसी भी स्वरुप जैसे कि फव्वारे, बारिश की उपस्थिति नही होनी चाहियेप्रकृति में पानी को बहुत ही सशक्त तत्व माना जाता है, जिस जगह पर उसकी उपस्थिति होती है, उस क्षेत्र में पानी अन्य किसी भी ऊर्जा को प्रवेश नही करने देता है

घर के सदस्यों को इस बात को सुनिश्चित कर लेना आवश्यक रहता है कि, जिस प्रकार की तस्वीर दीवार के ऊपर लटकाई गयी है, वह सुख शांति का वातावरण निर्मित करे जैसे कि जुडवे पक्षियों, शिव पार्वती, राधा कृष्णा आदितंदुरस्त स्वास्थ्य और शांतिपूर्ण जीवन के लिए यह भी ध्यान में रखना चाहिये कि, सोते समय हमारा सिर हमारी अपनी जन्मतिथि अनुसार अपनी लाभप्रद दिशा की ओर होघर में यदि शयनकक्ष दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर का हो तो डरने की या चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नही है

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