आज भारत, व्यापार और उद्योगों का केंद्र बना हुआ है और ऐसे में सभी कॉरपोरेट्स अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए प्रयास करते है। इसी के साथ वो भविष्य में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए अलग -अलग तरह की नीतियां भी बनाते हैं। इन रणनीतियों का केंद्र मुख्यतया लोग, उत्पाद, मूल्य, स्थान व पदोन्नति ज़्यादा होती है और हमारे आस पास मौजूद कॉस्मिक ऊर्जा पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसे में कंपनी के पूर्ण विकास व प्रगति के लिए आवश्यक है कि वो अपने कर्मचारियों की कुशलता तथा संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग कर सकें और उद्योग व मुनाफ़े को बढ़ा सकें।
अपने पिछले 2 दशकों के कॉर्पोरेट्स के साथ के अनुभव के आधार पर डॉ. श्री चंद्रशेखर “गुरुजी” ने ये साबित किया है कि उद्योगों व कॉर्पोरेट्स को अनेक ऐसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है जिसका मूल कारण है इनके संसाधनों और बुनियादी ढांचे में ऊर्जा का असंतुलित होना। यह असंतुलित ऊर्जा व्यापार में नकारात्मकता लाती है। इसी असंतुलन के वज़ह से इन व्यापारियों के कारखानों , खुदरा दुकानों, कार्यालय परिसरों, गोदामों आदि में नुकसान, कर्मचारियों में असंतुष्टि व अनबन, कानूनी विवाद जैसी समस्याएं पैदा होती है।
गुरुजी के मार्गदर्शन से आप अपने व्यवसाय में आने वाली परेशानियों को हल करने में समर्थ हो सकते है। डॉ. श्री चंद्रशेखर गुरुजी अपने अनुभव के ज़रिए आपके व्यापार और व्यवसाय में सकारात्मक परिवर्तन लाकर आपकी कार्यालय व कार्यस्थल की नकारात्मकता को खत्म करने में मदद करते है। गुरुजी के सरल वास्तु के ज्ञान से आपके कार्य स्थान के भीतर ऊर्जा को संतुलित कर वहाँ सकारत्मक ऊर्जा में वृद्धि कर अनेक दोषों को दूर किया जा सकता हैं व मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।