पूजा कक्ष के बाद घर का दूसरा सबसे पवित्र स्थान किचन है। हम रसोई में भोजन तैयार करते हैं जो हमें पूरे दिन के लिए ऊर्जावान बनाता है। हम अपनी रसोई को साफ और सुव्यवस्थित रखते हैं स्वच्छता का ध्यान रखने से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से सामना नही करना पड़ता। बाहरी संक्रामक खाद्य या पानी के माध्यम से कई संक्रमण होते हैं इसलिए इससे बचने के लिए हम स्वच्छ और स्वस्थ भोजन पर ज़ोर देते हैं।
वास्तु शास्त्र में, रसोई एक परिवार में स्वास्थ्य और रिश्ते के मामलों के लिए मुख्य भूमिका निभाता है। जब हम रसोई के लिए वास्तु के बारे में बात करते हैं, तो यह मुख्य रूप से इन दो पहलुओं को छूता है अर्थात् स्वास्थ्य और परिवार के सदस्यों के बीच संबंध। यदि हम वास्तु के अनुसार रसोई का निर्माण करते हैं, तो इससे परिवारों की अनेक समस्याओं को कम कर सकते है और परिवार के सदस्यों के साथ अच्छे रिश्ते और उनके अच्छे स्वास्थ्य की राह आसान हो जाती है।
हम सुनते रहते हैं कि एक विशेष दिशा रसोई के लिए अच्छी है । अथवा दूसरी विशेष दिशा वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार आदि के लिए अच्छी है। लेकिन आजकल की इस भागती दौड़ती दुनिया मे आपको सही वास्तु के अनुरूप घर मिलना भी संभव नही है। यह फ्लैट, अपार्टमेंट आदि जैसे घर मे रहने का नया युग है। इसलिए सही वास्तु के साथ रसोई मिलना कठिन है।
गुरुजी के अनुसार, सरल वास्तु द्वारा बताए गए आसान और मामूली परिवर्तनों के साथ रसोईघर का निर्माण किया जा सकता है ताकि रसोई घर के लिए सही नहीं रहने वाली कुछ दिशाओं के बुरे प्रभाव को कम किया जा सके। गुरुजी ने सरल वास्तु सिद्धांत की स्थापना की है, जो कहता है, “खाना पकाने वाले किसी भी व्यक्ति को खाना पकाने के लिए अपनी जन्म-तिथि पर आधारित अनुकूल दिशा में खड़े होना चाहिए। ऐसे कई और वास्तु उपाय है जिनका सही से पालन किया जाना चाहिए।”
वास्तु शास्त्र निश्चित वास्तु समाधानों का एक सेट नहीं है जो सभी के लिए समान हो। ये आपकी जन्म-तिथि के आधार पर अलग अलग उपाय होते हैं। नकली वास्तु विशेषज्ञों द्वारा कई मिथक प्रचलित हैं कि घर के हर कमरे और हिस्से को एक निश्चित दिशा में होना चाहिए। लेकिन व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं है कि एक दिशा सभी के लिए अनुकूल हो सकती है। गुरुजी का मानना है कि इस मिथक को खत्म करने की ज़रूरत है। रसोई के लिए वास्तु के अंतर्गत जन्म-तिथि के आधार पर एक अनुकूल दिशा की आवश्यकता होती है।
सरल वास्तु सिद्धांत वास्तु शास्त्र की नींव पर आधारित है कि समृद्धि या प्रतिकूलता कॉस्मिक ऊर्जा का परिणाम है। यह ऊर्जा हमें हर समय घेरे रहती है। ऊर्जा में कोई भी असंतुलन आपके जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है और किसी व्यक्ति के जीवन में प्रतिकूलता ला सकता है। यह असंतुलन रसोई वास्तु में गलत दिशा, संरचना या प्लेसमेंट का परिणाम हो सकता है।