भारतीय परंपरा में पूजा कक्ष का महत्व बहुत अधिक है। यह आध्यात्मिकता का केंद्र है जहाँ हम शांति की तलाश करते हैं। वास्तु शास्त्र में, पूजा कक्ष या प्रार्थना कक्ष का अपना महत्व है। इसे घर में सकारात्मकता का केंद्र भी माना जाता है। पूजा कक्ष के लिए वास्तु पूरे घर में सकारात्मकता को बढ़ाता है और परिवार के प्रत्येक सदस्य की खुशियों और सफलता के लिए उत्तरदायी होता है।
सरल वास्तु सिद्धांत सभी जगह मौजूद कॉस्मिक ऊर्जा के प्रवाह पर केंद्रित है। पूजा कक्ष में वास्तु दोष के कारण कोई भी बाधा ऊर्जा के सकारात्मक व आसान प्रवाह को रोक या विचलित कर सकती है। इससे खतरनाक और नकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं। संपूर्ण परिवार को इस असंतुलित कॉस्मिक ऊर्जा के बुरे परिणामों का सामना करना पड़ता है।
गुरुजी द्वारा दिखाए गए अनूठे वास्तु समाधानों से असंतुलित ऊर्जा के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है साथ इसके स्वतंत्र और सुचारू प्रवाह में मदद मिलती है। अपने 20 वर्षों के गहन शोध के बाद, उन्होंने इस वास्तु तथ्य के बारे में जानकारी दी कि किसी भी व्यक्ति के लिए वास्तु समाधान जो हर व्यक्ति के लिए भिन्न होता है, मूल रूप से उसकी जन्म तिथि पर आधारित होता है। उन्होंने समझाया कि अगर एक पिता ने एक घर में खुशहाल व सफल जीवन जिया है तो उसके बेटे को उसके प्रयासों के अपेक्षित परिणाम क्यों नहीं मिल रहे हैं? कारण घर के वास्तु में निहित है जो जाहिर तौर पर उनके जन्म की तारीख पर आधारित है जो अलग-अलग हैं।
चूंकि पूजा कक्ष सकारात्मकता का केंद्र है, इसलिए वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष का निर्माण करना आवश्यक है। पूजा कक्ष के लिए वास्तु में कई आसानी से उपयोग में लाये जाने वाले समाधान होते हैं। पूजा कक्ष के लिए इन वास्तु उपायों का उपयोग हम घर में आध्यात्मिकता, सकारात्मकता और अच्छी ऊर्जा बढ़ाने के लिए कर सकते हैं: