एक घर विभिन्न भागों का एक संयोजन है जो सामूहिक रूप से एक घर बनाते हैं। एक खुशहाल घर सकारात्मक और संतुलित ऊर्जा से बनता है। यह संतुलित ऊर्जा घर के विभिन्न हिस्सों से आती है जैसे कि बैठक, मुख्य द्वार, रसोईघर, पूजा कक्ष, शयनकक्ष, शौचालय आदि। यदि घर के प्रत्येक भाग का वास्तु सही है तो ऐसा घर सुख और समृद्धि का केंद्र बन जाता है। लेकिन अगर किसी कमरे या भाग में वास्तु दोष प्रमुख है तो यह पूरे घर को प्रभावित करता है।
एक घर वास्तु अनुरूप बनाने के लिए, आपको अपने घर के प्रत्येक हिस्से को भी वास्तुशास्त्र अनुरूप बनाने की आवश्यकता होती है। वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है जहां पर ऊर्जा का प्रवाह सुचारू होना चाहिए। वस्तुओं की दिशा, संरचना और स्थान के माध्यम से ऊर्जा को बहने के लिए एक रास्ता मिलता है। घर के लिए सही वास्तु सही दिशाओं के साथ उचित वास्तु समाधान प्रदान करता है।
सरल वास्तु मुख्य रूप से घर मे बहने वाली कॉस्मिक ऊर्जा के प्रवाह पर केंद्रित है। यदि यह ऊर्जा सहज रूप से सही दिशा और संरचना की तरफ़ प्रवाहित हो रही है तो वह आपके घर में खुशियों और सफलता को आकर्षित करता है । गुरुजी ने वास्तु शास्त्र के गहन शोध के साथ सरल वास्तु सिद्धांतों की स्थापना की और इस तथ्य को प्रस्तावित किया कि किसी भी व्यक्ति के लिए अनुकूल दिशा उसकी जन्म-तिथि पर आधारित होती है।
उदाहरण के लिए, एक पिता एक घर में रहकर सुखी जीवन जीता है और सभी प्रकार के सुखों को प्राप्त कर अच्छे व्यापारिक परिणाम प्राप्त करता है, लेकिन दूसरी और उसके बेटे के जीवन में सफलता और खुशियों का अभाव रहता है। ऐसा होने का कारण है पिता और पुत्र की अलग-अलग जन्म तिथि का होना जिसके अनुसार दोनों के लिए घर का वास्तु समान परिणाम नहीं देता।