किसी भी घर में शौचालय और स्नानघर का घर के भीतर होना नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। पुराने समय में वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखते हुए शौचालय व स्नानघर को घर के बाहर निर्मित किया जाता था परंतु आज के समय में कम जगह व छोटे परिवारों को ध्यान में रखते हुए घर के भीतर ही शौचालय व स्नानघर का निर्माण किया जाता है। घर में शौचालय का निर्माण करते समय सही दिशा और निर्देशों का पालन न करने के कारण घर में नकारात्मकता बढ़ती है। इस कारण घर के सदस्यों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वास्तु शास्त्र के दिशा निर्देशों का उचित पालन न होने पर नकारात्मकता बढ़ती है। ऐसे घर में रहने वाले लोग शारीरिक व मानसिक तौर पर खुश नहीं होते। ऐसी समस्याओं को हल करने के लिए वास्तु शास्त्र सहायता करता है। सरल वास्तु में गुरुजी यह बताते हैं कि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए इन दोषों को बिना किसी संरचनात्मक बदलाव व तोड़-फोड़ के ठीक किया जा सकता है।