विशुध्द चक्र ( इसे विशुध्दी चक्र अथवा कंठ चक्र भी कहा जाता है ) । मानवी शरीर का पाँचवा प्राथमिक चक्र है । विशुध्द चक्र यह संस्कृत शब्द है जिसका मतलब है शुध्द करना अथवा प्रक्षालन करना और यह चक्र प्रक्षालन न केवल शारीरिक स्तर पर लेकिन रूह तथा मन के स्तर पर भी दर्शाता है । आत्मा से सत्य को व्यक्त करना यही इसका मुख्य हेतु है । यह चक्र संचारण तथा वक्तृत्व का केंद्र है और श्रवण शक्ति तथा सुनने की शक्ति को नियंत्रित करता है । यह व्यक्ति को संवाद करने का तथा चुनने का अधिकार देता है ।
यह चक्र कमल के साथ सोलह पंखुड़ियाँ से प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया जाता है जिसमें हर पंखुड़ी सोलह विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती है जिसे व्यक्ति संभवतः महारत हासिल कर सकता है । ( सोलह पंखुड़ियाँ संस्कृत के सोलह स्वरों का प्रतिनिधित्व करते हैं ) । इसका मंत्र ` हम ‘ है और इसका रंग निला है ।