“जहाँ स्वास्थ्य वहाँ संपत्ती” या “आरोग्यम् धनसंपदा” इस युगो-पुरानी प्राचीन कहावत के अनुसार लोग रहते थे । इस आदर्श वाक्य के अनुसार लोगों ने अपने शरीर, जो अन्न वो खाते हैं, जिस हवा में साँस लेते हैं, जो स्वास्थ्य बीमा वओ लेते हैं आदि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए । परन्तु, स्वास्थ्य के लिए वास्तु टिप्स के बारे में लोग भूल जाते हैं । एक स्वस्थ जीवन के लिए अन्य सभी उपायों के बावजूद अगर वास्तु को टाला गया तो परिवार में स्वास्थ्य संबंधी संभाव्य मसलें आ सकते हैं । स्वास्थ्य के लिए वास्तु लौकिक विज्ञान के उस पहलु से संबंध रखता है जहाँ वह घर की सकारात्मक ऊर्जा को लक्ष्य बनाता है जिससे न सिर्फ व्यक्ति के तथा उसका / उसकी परिवार के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य में बल्कि उनकी समस्त तंदुरूस्ती में सुधार होता है ।
व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के अलावा स्वास्थ्य के लिए वास्तु का सबसे बड़ा लाभ यह है कि शरीर के भीतर 7 चक्र सक्रिय तथा संतुलित हो जाते हैं । चक्र एक और प्राचीन विज्ञान है जो समग्र तंदुरूस्ती के लिए आवश्यक है । जब शरीर के 7 चक्र खुल जाते हैं अथवा संतुलित हो जाते हैं तब व्यक्ति अपने सर्वोत्तम स्वास्थ्य में होता है । अच्छे वास्तु से उत्पन्न होनेवाली सकारात्मक ऊर्जा सात चक्रों के संतुलन के लिए व्यापक रूप से उत्तरदायी है और व्यक्ति की आंतरिक शांति को खोजने में तथा फुरतीला व स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है ।